PL कर्मचारियों का अर्जित अवकाश, कैश करने से रोका तो होगा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन; HC ने क्यों कहा
Bombay High Court: कोर्ट ने कहा कि अवकाश नकदीकरण वेतन के समान है, जो एक संपत्ति है और किसी वैधानिक प्रावधान के बिना किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करना अनुच्छेद 300 का उल्लंघन होगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी कर्मचारी का PL (Privilege Leave) उसका अर्जित अवकाश होता है और नियोक्ता द्वारा उसका नकदीकरण (Encashment) करने से इनकार करना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। दत्ताराम सावंत और अन्य बनाम विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा, अवकाश नकदीकरण वेतन के समान है और किसी व्यक्ति को अवकाश नकदीकरण से वंचित करना संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने अपने फैसले में व्यवस्था दी कि अवकाश नकदीकरण वेतन के समान है, जो एक संपत्ति है और किसी वैधानिक प्रावधान के बिना किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 300 (बिना कानूनी अधिकार के किसी भी व्यक्ति को संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता) का उल्लंघन होगा।
जस्टिस नितिन एम जामदार और जस्टिस एम एम सथाये की खंडपीठ ने कहा, "पीएल एक तरह का अर्जित अवकाश है और अगर किसी कर्मचारी ने अवकाश नकदीकरण अर्जित किया है और उसने अपनी अर्जित छुट्टी को अपने खाते में जमा करने का विकल्प चुना है, तो छुट्टी का नकदीकरण उसका अधिकार बन जाता है।''
पीठ ने इस आधार पर कहा कि याचिकाकर्ता जो विदर्भ-कोंकण ग्रामीण बैंक के पूर्व कर्मचारी हैं, वे अवकाश नकदीकरण के हकदार हैं। पीठ ने कहा कि बैंक विशेषाधिकार अवकाश (PL) नकदीकरण का लाभ अपने पूर्व कर्मचारी को देने से इनकार नहीं कर सकता और अगर ऐसा किया गया है तो यह "मनमाना" है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने बैंक को अगले छह सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को प्रति वर्ष 6 फीसदी ब्याज दर के साथ अवकाश नकदीकरण राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने 57 वर्षीय दत्ताराम आत्माराम सावंत और उनकी पत्नी सीमा की याचिका पर ये फैसला सुनाया है। इन दोनों ने क्रमशः 2015 और 2014 में 30 वर्षों से अधिक समय तक बैंक की सेवा करने के बाद इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि वैनगंगा कृष्णा ग्रामीण बैंक को 2013 में विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक में विलय कर दिया गया था। बैंक ने यह कहते हुए दोनों को पीएल के नकदीकरण का लाभ देने से इनकार कर दिया था कि दोनों ने इस्तीफा दिया है, इसलिए अवकाश नकदीकरण का नियम उन पर लागू नहीं होता।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में बैंक के दावों को ठुकरता हुए माना कि सेवानिवृत्त याचिकाकर्ताओं ने अपने विशेषाधिकार अवकाश को भुनाने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं खो दिया है क्योंकि उन्होंने प्रतिवादी बैंक की सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था। बाद में कोर्ट के आदेश पर दत्ताराम को 250 दिनों और सीमा को 210 दिनों के विशेषाधिकार छुट्टी के नकदीकरण का आदेश दिया गया।