जम्मू-कश्मीर में नहीं गल रही आतंकियों की दाल, जानें तीन साल मे कैसे बदला माहौल
जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन सालों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। खासकर अब आतंकी युवाओं को फुसलाने में कामयाब नहीं हो रहे हैं इसलिए विदेशी आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश में रहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद तेजी से बदलाव हुआ है। जो युवा कभी चंद पैसों की लालच में पाकिस्तान के इशारे पर पत्थर उठा लिया करता था, आज ऐसे रास्ते को छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ रहा है। 5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के कम से कम 30 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है, 5.2 लाख लोग आंत्रप्रेन्योर बन गए हैं। वहीं 5.5 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर काम कर रही हैं।
सरकार स्वरोजगार के लिए भी अवसर उपलब्ध करवा रही है। निर्माण क्षेत्र हो या सेवा क्षेत्र, युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके अलावा विकेंद्रीकृत तरीके से रोजगार सृजन के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवाई जाती है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आयोजित रोजगार मेले को संबोधित किया था। वहीं एलजी मनोज सिन्हा ने 3 हजोर लोगों को नियुक्ति पत्र बांटे।
पीएम मोदी ने कहा था, मुझे खुशी है कि बड़ी संख्या में युवा आगे आ रहा है और अपने देश के विकास के लिए काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि रोजगार के मामले में पारदर्शिता बनाए रखना बहुत जरूरी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अब जम्मू-कश्मीर के युवाओं के विचार भी बदल रहे हैं और वे अपना रास्ता चुन रहे हैं। वहीं पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं की सिट्टी पिट्टी गुम है। अब उनकी कोई भी चाल नहीं चल पा रही है।
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पाकिस्तान में बैठे आतंक के आका पहले युवाओं को आसानी से गुमराह करते थे और पत्थर पकड़ा देते थे। हाल यह है कि आतंकियों की मदद करने वाले और अलगाववाद की बात करने वाले कई लोग भी अपना रास्ता बदल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों को पता चला है कि उनकी पीढ़ियां आतंकियों की वजह से बर्बाद हुई हैं और अब उन्हें भविष्य संवारना है। इसीलिए वे आतंकियों के पकड़ाए हुए बम और बंदूक थामने को तैयार नहीं हैं। एलओसी से घुसपैठ करने की कोशिश करने वाले आतंकियों को पकड़वाने में भी वे सुरक्षाबलों की मदद करते हैं।
जम्मू-कश्मीर का युवा अब भारत और पाकिस्तान के बीच चले रहे लंबे प्रॉक्सी वॉर का हिस्सा नहीं बनना चाहता। कई जगहों पर आतंकी ठिकानों को भंडाफोड़ करने में भी युवा साथ दे रहे हैं। वहीं पाकिस्तान के एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर होने के बाद आतंकियों को एक मौका मिला है कि वे फिर से संगठन को खड़ा कर दें। हालांकि जम्मू-कश्मीर में अब उनकी दाल नहीं गलने वाली है।
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