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एनईआर ने इंजन बदलकर की प्रदूषण रोकने में मदद, 35 लाख किलो कार्बन का उत्सर्जन रोका

सामान्य इंजन की जगह एचओजी (हेड ऑन जेनरेशन) तकनीक का इंजन प्रयोग कर एनई रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 152 करोड़ रुपये का डीजल बचाया है। साथ ही 35 लाख किलो से ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन रोका है।

एनईआर ने इंजन बदलकर की प्रदूषण रोकने में मदद, 35 लाख किलो कार्बन का उत्सर्जन रोका
Srishti Kunjआशीष श्रीवास्तव,गोरखपुरFri, 23 Jun 2023 05:53 AM
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पूर्वोत्तर रेलवे ने नई तकनीक से डीजल बचाने के साथ प्रदूषण रोकने में भी काफी हद तक सफलता पाई है। सामान्य इंजन की जगह एचओजी (हेड ऑन जेनरेशन) तकनीक का इंजन प्रयोग कर एनई रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 152 करोड़ रुपये का डीजल बचाया है। साथ ही 35 लाख किलो से ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन रोका है। यात्रियों को भी पॉवर कार के शोर से राहत मिली है।

ट्रेनों के कोच में लाइट, पंखा, एसी आदि के लिए ऊर्जा की आपूर्ति सामान्यत: पॉवर कार के जरिये होती है। इसमें डीजल की भारी खपत होती है। इलेक्ट्रिक इंजनों में हेड ऑन जेनरेशन तकनीक के इस्तेमाल से सीधे इंजन से कोच में ऊर्जा की सप्लाई होती है। इससे डीजल की खपत लगभग समाप्त हो गई है। वर्ष 2022-23 में 13.62 लाख लीटर डीजल के साथ ही आयात बिल की बचत हुई है। ध्वनि प्रदूषण पर भी अंकुश लगा है। पूर्वोत्तर रेलवे में अभी 45 जोड़ी ट्रेनें ‘हेड ऑन जेनरेशन‘ तकनीक से चल रही हैं। इस साल के अंत तक बाकी ट्रेनें भी एचओजी इंजन से चलने की उम्मीद है। 

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उपलब्धि
-हेड ऑन जेनरेशन तकनीक के इंजन से ट्रेन में पॉवर कार की जरूरत नहीं पड़ती
-सीधे इंजन से कोच में जाता है पॉवर, उसी से चलते हैं पंखे और एसी

नंबर गेम
-13.62 लाख लीटर डीजल की बचत हुई एचओजी इंजन से 
-720 ग्राम कार्बन की मात्रा होती है एक लीटर डीजल में

क्या है हेडऑन जेनरेशन
हेड ऑन जेनरेशन एक विद्युत आपूर्ति प्रणाली है, जिसके तहत रेलगाड़ी में लाइट, पंखे, एसी एवं अन्‍य आवश्‍यकताओं के लिए विद्युत आपूर्ति रेलगाड़ी के इंजन से होती है। पॉवर कारों में लगाए जाने वाले डीजल सेटों की आवश्‍यकता नहीं रहती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह उपयोगी है।

एक लीटर डीजल जलने से 2.6 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन
प्रदूषण एक्सपर्ट रविरंजन सिन्हा के मुताबिक रिसर्च में यह पाया गया है कि एक लीटर डीजल में 720 ग्राम कार्बन की मात्रा होती है, जिसके जलने से लगभग 2.6391 किलोग्राम सीओ (कार्बन मोनो ऑक्साइड) और सीओटू (कार्बन डाईऑक्साइड) निकलता है। 

यात्रियों को भी सुकून
पॉवर कार वाली ट्रेनों में जेनरेटर हर समय ऑन रहता है। हैवी जेनरेटर होने से काफी तेज आवाज आती है और धुआं भी खूब निकलता है। एचओजी लगने और पॉवर कार हट जाने से शुरुआती तीन चार कोच के यात्रियों को काफी सुकून मिला है।

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी, पंकज कुमार सिंह ने कहा कि एचओजी तकनीक वाले इंजन के प्रयोग से डीजल की खपत काफी कम हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में डीजल के रूप में 152 करोड़ रुपये की बचत हुई है। कार्बन उत्सर्जन में भी काफी कमी आई है।