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Hindi News उत्तर प्रदेशHindustan Special: जूते पर टिका है प्रयागराज का 158 साल पुराना नैनी रेलवे पुल, ऊपर ट्रेन तो नीचे चलती हैं गाड़ियां

Hindustan Special: जूते पर टिका है प्रयागराज का 158 साल पुराना नैनी रेलवे पुल, ऊपर ट्रेन तो नीचे चलती हैं गाड़ियां

नई दिल्ली-कोलकता रेल मार्ग पर प्रयागराज से नैनी को जोड़ने वाला यमुना ब्रिज 15 अगस्त को 158 साल का हो जाएगा। अंग्रेजों के समय बने इस पुल की एक खासियत यह है कि इसके 17 में से एक पिलर जूते के आकार का है।

Hindustan Special: जूते पर टिका है प्रयागराज का 158 साल पुराना नैनी रेलवे पुल, ऊपर ट्रेन तो नीचे चलती हैं गाड़ियां
Pawan Kumar Sharmaलाल रणविजय सिंह,प्रयागराजMon, 24 Jul 2023 08:24 PM
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नई दिल्ली-कोलकता रेल मार्ग पर प्रयागराज से नैनी को जोड़ने वाला यमुना ब्रिज 15 अगस्त को 158 साल का हो जाएगा। अंग्रेजों के समय बने इस पुल की एक खासियत यह है कि इसके 17 में से एक पिलर जूते के आकार का है। ऐसा क्यों किया गया, इसकी भी एक रोचक कहानी है। यमुना के तेज बहाव के कारण निर्माण के वक्त एक खास स्थान पर एक पिलर टूट जाता था, जिसे देखते हुए इंजीनियरों ने उस स्थान पर पिलर को जूते के आकार की तरह बना दिया ताकि तेज बहाव की वजह से पिलर पर असर न पड़े। इस एक पिलर को बनाने में ही बीस महीने लगे थे। 

ऊपर रेल, बीच में वाहन, नीचे नाव 

इस अद्वितीय पिलर के सहारे खड़े इस पुल की एक और खासियत यह है कि इसमें सबसे ऊपर रेलगाड़ी चलती है तो उसके नीचे बने रोड से वाहन गुजरते हैं और सबसे नीचे यमुना नदी पर नाव चलती है। वैसे तो अंग्रेजों ने इस पुल के निर्माण की योजना 1855 में बनाई थी लेकिन 1857 की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई की वजह से गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग ने पुल का निर्माण रोक दिया गया था। वह सुरक्षा हेतु रेल को किले या उसके आसपास से ले जाना चाहते थे लेकिन तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं हो सका। 1859 तक कार्य बाधित रहा फिर निर्माण शुरू हुआ। 15 अगस्त 1865 को इस पुल की शुरुआत हुई थी। 

पहले इस पुल पर सिर्फ रेल चलती थी, बाद में इसके नीचे रोड बनाई गई। वर्ष 2004 तक प्रयागराज से नैनी के लिए भारी और हल्के वाहन इसी पुल से जाते थे। 2004 में यमुना पर नया केबिल ब्रिज बनने के बाद इस पुराने पुल पर भारी वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया। रेलवे की धरोहरों में शामिल इस पुल पर अब सिर्फ हल्के वाहन ही चलते हैं हालांकि रेल मार्ग पर आज भी ट्रेने 80 किमी की रफ्तार से ट्रेन दौड़ती है। पहले रेल मार्ग सिगंल था पुल निर्माण के 50 साल बाद इसे डबल किया गया। 2013 में पुल की मरम्मत की गई, लेकिन ट्रेन और वाहनों का आवागमन नहीं रुका। आज यह ब्रिज चार प्रकार से उपयोग में आता है। रेलवे ट्रैक और वाहनों के अलावा बरौनी-प्रयागराज तेल पाइप लाइन इसी पुल से गुजरती है। गऊघाट से शहर का सीवर इसी पुल से नैनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जाता है।