दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस यमुना पर एलिवेटेड होगा, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय में असमंजस
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) को यमुना पर टनल के जरिए बनाए जाने के बजाय एलिवेटेट रूप से बनाया जाएगा। दिल्ली सरकार इसे टनल के रास्ते बनाना चाहती है, जबकि शहरी विकास मंत्रालय ऊपर...
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) को यमुना पर टनल के जरिए बनाए जाने के बजाय एलिवेटेट रूप से बनाया जाएगा। दिल्ली सरकार इसे टनल के रास्ते बनाना चाहती है, जबकि शहरी विकास मंत्रालय ऊपर ही रखना चाहता है। इससे परियोजना पर लगभग 4500 करोड़ रुपये की बचत होगी। इस बारे में शहरी आवास व विकास मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को पत्र भी लिखा है।
दिल्ली मेरठ आरआरटीस दिल्ली के निजामुद्दीन से मेरठ के बीच बनाया जाना है। इसको इस तरह से तैयार किया जा रहा है जिससे दिल्ली-अलवर व दिल्ली -पानीपत को भी एक साथ जोड़ा जा सके। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि इस परियोजना में सरकार चाहती है कि मेरठ से निजामुद्दीन के बीच में यमुना पर रेल लाइन को टनल के जरिए लाया जाए, जबकि मंत्रालय एलिवेटेड रखना चाहता है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परियोजना की लागत बढ़ने पर उसका खर्च भी आम आदमी पर पड़ेगा, क्योंकि बाद में किराया भी उसी हिसाब से तय करना होगा। उन्होंने कहा कि 83 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक को केंद्र व राज्य पचास 50% की हिस्सेदारी पर बनाएगा। उत्तर प्रदेश ने इसके लिए सहमति दे दी है। दिल्ली ने भी सिद्धांत: सहमति दी है, लेकिन उसकी धन की समस्या है।
सिग्नेचर ब्रिज को लेकर राजनीति पर हरदीप पुरी ने कहा कि इस बारे में कोई विवाद नहीं है। यह ब्रिज बेजोड़ है। मनोज तिवारी के मामले पर उन्होंने कहा कि वे स्थानीय सांसद हैं उनको बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने इस मामले पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इस बयान का भी उल्लेख किया कि यह प्रक्रिया 2006 से चल रही थी। यह ब्रिज किसी पार्टी का नहीं, बल्कि दिल्ली की जनता का है।