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चीनी ऐप्स के बाद ड्रैगन पर एक और प्रहार, भारत ने कलर TV के इम्पोर्ट पर लगाया प्रतिबंध

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच उपजे हालात के बाद से भारत लगातार ड्रैगन पर हमलावर है। सौ से ज्यादा चीनी ऐप्स पर डिजिटल स्ट्राइक के बाद अब भारत ने एक और प्रहार करते हुए रंगीन टेलीविजन सेट्स के आयात...

चीनी ऐप्स के बाद ड्रैगन पर एक और प्रहार, भारत ने कलर TV के इम्पोर्ट पर लगाया प्रतिबंध
राजीव जयसवाल, हिन्दुस्तान टाइम्सFri, 31 Jul 2020 06:26 PM
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पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच उपजे हालात के बाद से भारत लगातार ड्रैगन पर हमलावर है। सौ से ज्यादा चीनी ऐप्स पर डिजिटल स्ट्राइक के बाद अब भारत ने एक और प्रहार करते हुए रंगीन टेलीविजन सेट्स के आयात पर रोक लगा दी है।  विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा गुरुवार देर शाम एक अधिसूचना जारी की गई, जिसमें कहा गया कि टेलीविजन (टीवी) की आयात नीति में संशोधन किया गया है।

इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि रंगीन टीवी का आयात अब प्रतिबंधित श्रेणी में है, जिसके बाद सरकार से आयात लाइसेंस लेने की आवश्यकता होगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य चीन टीवी की आमद की जांच करना है। उन्होंने कहा कि भारत में 15,000 करोड़ रुपये का टीवी उद्योग है और 36% से अधिक टीवी मुख्य रूप से चीन और दक्षिण पूर्व एशिया से आयात की जाती है।

लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया था। हालांकि, अब माहौल में कुछ नरमी जरूर आई है, लेकिन हालात पूरी तरह से सुधरे नहीं हैं। इसके बाद केंद्र सरकार ने चीन पर एक के बाद एक कई प्रहार किए। पहले कई चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित किया और फिर विभिन्न क्षेत्रों में चीनी ठेकों को निरस्त किया गया।

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि कुछ चीनी टीवी सेटों को किसी तीसरे देश की मदद से भारत लाया जाता, जिसके साथ भारत का व्यापार का समझौता होता है। ऐसे में इस कदम से इस तरह के अवैध व्यापार पर भी रोक लगेगी। वहीं, चीन के अलावा, वियतनाम, मलेशिया, हांगकांग, कोरिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और जर्मनी भी रंगीन टीवी के प्रमुख निर्यातक हैं।

अधिकारी ने बताया कि कई ऐसी वस्तुएं भारतीय बाजार में प्रवेश करती हैं, जो कम या शून्य शुल्क पर आसियान भारत एफटीए आयात का लाभ लेती हैं। यह हमारे घरेलू उद्योग को नुकसान में डालती हैं। इस तरह के आयातों को बढ़ी हुई शुल्क दरों के माध्यम से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसलिए, सरकार आयात प्रतिबंध जैसे उपायों को लागू कर रही है।