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Hindi News उत्तर प्रदेशफतेहगढ़ जेल से रिहा हुआ आईएसआई एजेंट मुन्ना पाकिस्तानी, लेने पहुंची पत्नी

फतेहगढ़ जेल से रिहा हुआ आईएसआई एजेंट मुन्ना पाकिस्तानी, लेने पहुंची पत्नी

आईएसआई एजेंट मुन्ना पाकिस्तानी फतेहगढ़ जेल से रिहा हुआ है। मुन्ना पाकिस्तान में जाकर आईएसआई एजेंट बन गया था। मूलगंज से सन 2002 में सुरक्षा एजेंसियों ने उसे पकड़ा था। पत्नी रिहा कराने पहुंची।

फतेहगढ़ जेल से रिहा हुआ आईएसआई एजेंट मुन्ना पाकिस्तानी, लेने पहुंची पत्नी
Srishti Kunjहिन्दुस्तान टीम,कानपुरSat, 25 May 2024 08:54 AM
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सेना की गतिविधियों और जानकारियां आईएसआई से साझा करने के मामले में जेल गए आईएसआई एजेंट मोहम्मद इमरान उर्फ मुन्ना पाकिस्तानी दस साल की सजा काटने के बाद शुक्रवार को फतेहगढ़ की जेल से रिहा हो गया। उसे जेल से लेने के लिए उसकी पत्नी और भाई पहुंचे। मुन्ना पाकिस्तानी को परिजन कानपुर ले आए। मो. इमरान उर्फ मुन्ना कमाल खां हाता थाना मूलगंज का रहने वाला है। वह नब्बे के दशक में पाकिस्तान गया था, जहां वह आईएसआई एजेंटों के संपर्क में आ गया था। 

मुन्ना को एसटीएफ और खुफिया एजेंसियों ने संयुक्त ऑपरेशन कर सन 2002 को गिरफ्तार किया था। 19 अगस्त 2003 को हाईकोर्ट ने इसे जमानत दे दी थी। एडीजे ईसी कोर्ट ने 04 अक्तूबर 2017 को मुन्ना को दस साल की सजा सुनाई थी। मुन्ना कुछ समय कानपुर जेल में भी बंद रहा। 16 नवम्बर 2022 को फतेहगढ़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। वहां से शुक्रवार को रिहा कर दिया गया। उसे लेने पत्नी रुकैया और भाई रियाजुद्दीन पहुंचे। भाई रियाजुद्दीन ने बताया कि मुन्ना अब मूलगंज में ही रहेगा। 

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वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ / प्रभारी डीआईजी जेल, पीएन पांडे ने कहा कि मुन्ना पाकिस्तानी को सजा पूरी होने पर जेल से रिहा कर दिया गया है। उसे वर्ष 2022 में कानपुर की जेल से यहां भेजा गया था।

आधिकारिक तौर पर बताया था कि एक आईएसआई एजेंट को पकड़ा गया है और कुछ संवेदनशील दस्तावेज, जो वह कोरियर द्वारा पाकिस्तान भेज रहा था, जब्त कर लिए गए। कहा गया था कि आईएसआई एजेंट मोहम्मद इमरान उर्फ ​​मुन्ना को परेड इलाके से सैन्य खुफिया, यूपी पुलिस के विशेष कार्य बल और स्थानीय पुलिस के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि उसके पास से कानपुर में छावनी क्षेत्र के संवेदनशील दस्तावेज और नक्शे जब्त किए गए, जिन्हें कुछ फर्जी पासपोर्ट और राशन कार्ड के साथ वह कराची में आईएसआई मुख्यालय भेजने की कोशिश कर रहा था।