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कनाडा का एक और भारत को चुभने वाला कदम, रिपुदमन के बेटे की जान को बताया खतरा

1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 में हुए बम विस्फोट की घटना फिर चर्चा में है। कनाडाई पुलिस ने आरोपियों में से एक खालिस्तानी समर्थक रिपुदमन सिंह मलिक के बेटे को चेतावनी दी है कि उसकी जान को खतरा है।

कनाडा का एक और भारत को चुभने वाला कदम, रिपुदमन के बेटे की जान को बताया खतरा
Gaurav Kalaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 23 May 2024 10:29 AM
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भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच अब 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 में हुए बम विस्फोट की घटना फिर चर्चा में है। बम विस्फोट से विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में अधिकतर भारतीय मूल के थे। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  कनाडाई पुलिस ने बम विस्फोट के मुख्य आरोपियों में से एक खालिस्तानी समर्थक रिपुदमन सिंह मलिक के बेटे को चेतावनी दी है कि उसकी जान को खतरा हो सकता है। मलिक की 2022 में हत्या कर दी गई थी। यह चेतावनी तब आई है जब कनाडाई पुलिस को मलिक की हत्या में भारत की भूमिका का संदेह है और वह मामले में जांच कर रही है। 

खालिस्तानी समर्थक और कनाडा में बिजनेसमैन रिपुदमन सिंह मलिक की 14 जुलाई 2022 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में हत्या कर दी थी। कनाडाई पुलिस ने मलिक की हत्या में भारतीय भूमिका से इनकार नहीं किया है। मलिक एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या 182 पर बमबारी करके 329 लोगों के कत्ल का आरोपी था। 1985 को हुई इस भयावह घटना में उसे कोर्ट द्वारा सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। हालांकि उसने मामले में चार साल जेल में बिताए। जेल से निकलने के बाद उसने भरपाई के तौर पर 9.2 मिलियन डॉलर हर्जाने की मांग की, लेकिन ब्रिटिश कोलंबिया की अदालत ने मुआवजे के दावों को खारिज कर दिया था।

सीबीसी न्यूज ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने मलिक के बेटे हरदीप सिंह मलिक को सावधान रहने को कहा है। कनाडाई पुलिस को संदेह है कि मलिक के बाद अब उसके बेटे को शिकार बनाया जा सकता है। पुलिस मलिक की हत्या में संभावित भारतीय भूमिका की जांच भी कर रही है।

विमान हादसा कैसे हुआ, जिम्मेदारी किसने ली थी
23 जून 1985 को कनाडा से लंदन होते हुए भारत जा रहे एयर इंडिया के विमान में विस्फोट हो गया था। विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। जांच में सामने आया था कि हादसे की वजह विमान में रखा एक सूटकेस था, जिसमें बम रखा हुआ था। मरने वालों में 268 कनाडाई नागरिक थे, जिनमें अधिकतर भारतीय मूल के थे। इसके अलावा 24 भारतीय भी शामिल थे। यह विस्फोट समुद्र के ऊपर हुआ। खोजी दल को सिर्फ 131 शव ही मिल पाए थे। कनाडाई पुलिस ने जांच में पता लगाया कि बम विस्फोट की प्लानिंग सिख अलगाववादियों द्वारा की गई थी जो 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंदिर पर भारतीय सेना के हमले का बदला लेना चाहते थे।

हमले के कुछ महीने बाद, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने बब्बर खालसा नामक चरमपंथी समूह के नेता तलविंदर सिंह परमार, इलेक्ट्रिशयन इंद्रजीत सिंह रेयात को गिरफ्तार किया गया था। परमार पर केस ज्यादा स्ट्रांग नहीं था, जिस पर कनाडाई पुलिस की काफी किरकिरी भी हुई। लेकिन, कनाडा के मुताबिक, बम विस्फोट का मुख्य साजिशकर्ता परमार 1992 में भारत में मारा गया। 2000 में पुलिस ने वैंकूवर के कारोबारी और खालिस्तानी समर्थक रिपुदमन सिंह मलिक और ब्रिटिश कोलंबिया के एक मिल मजदूर अजायब सिंह बागड़ी को गिरफ्तार किया था।

मलिक की हत्या पर भारत का पक्ष
जब मलिक की हत्या कर दी गई थी तब भी कनाडाई पुलिस ने मामले में भारतीय अधिकारियों की भूमिका का संदेह जताया था। लेकिन, तब भी भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि मलिक ने खालिस्तान आंदोलन को छोड़ दिया था और 2022 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में एक पत्र भी जारी किया था। मलिक की इसी बात पर कुछ कट्टरपंथी नाराज हो गए। भारत ने यह भी बताया था कि मलिक को 2019 में भारत की यात्रा के लिए वीजा भी दिया गया था और अपनी मौत से कुछ हफ्ते पहले वह पंजाब में था। 

यह भी बताया जाता है कि मलिक का मोदी की प्रशंसा करना और खालिस्तान के प्रति अपना रुख बदलने से हरदीप सिंह निज्जर काफी नाराज था। इस मामले में दोनों के बीच गहरा विवाद भी था। निज्जर की पिछले साल 18 जून को सरे में हत्या कर दी गई थी।