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केके पाठक से विवाद का हाई कोर्ट में निपटारा, बैठक में आएंगे वीसी, बैंक खातों से रोक हटी

शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक का राजभवन एवं विश्वविद्यालयों से चल रहा टकराव टल गया है। पटना हाई कोर्ट में शुक्रवार को लंबी सुनवाई के बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से सुलह हो गई।

केके पाठक से विवाद का हाई कोर्ट में निपटारा, बैठक में आएंगे वीसी, बैंक खातों से रोक हटी
Jayesh Jetawatविधि संवाददाता, हिन्दुस्तान,पटनाFri, 03 May 2024 06:59 PM
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बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के बीच चल रहा विवाद फिलहाल थम गया है। दोनों पक्षों में पटना हाई कोर्ट में सुलह हो गई। अब 6 मई को शिक्षा विभाग आयोजित बैठक में सभी यूनिवर्सिटी के वीसी शामिल होंगे। वहीं, विभाग की ओर से यूनिवर्सिटी के बैंक खातों के संचालन पर लगाई रोक भी हटाने का आदेश अदालत ने दे दिया है। पटना हाई कोर्ट में बिहार के विश्वविद्यालयों की ओर से दायर रिट याचिका पर शुक्रवार सुनवाई की। लंबी सुनवाई के बाद सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से बात बन गई। मामले की अगली 17 मई को होगी।

विश्वविद्यालयों के वीसी ने शिक्षा विभाग के साथ बैठक करने में अपनी सहमति दे दी। इससे पहले कई बार एक भी वीसी के नहीं आने पर केके पाठक ने मीटिंग को स्थगित किया था। बता दें कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के राजभवन सचिवालय की ओर से बैठक में शामिल होने की अनुमति विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों को नहीं दी गई थी।

'शिक्षा विभाग की बैठक में वीसी के साथ होती है बदसलूकी'
सभी वीसी की ओर से हाईकोर्ट में शुक्रवार को कहा गया कि शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में होना चाहिए। किसी के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए। इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अदालत को बताया कि पूरी बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। कोई भी अधिकारी किसी के साथ बदसलूकी नहीं करेंगे। वीसी एवं यूनिवर्सिटी के अन्य अधिकारियों से भी पूरा सहयोग अपेक्षित है।

पटना हाईकोर्ट में जस्टिस अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने शुक्रवार को एक-एक कर विश्वविद्यालयों की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की। उनका कहना था कि शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी कर कहा गया कि यूनिवर्सिटी में परीक्षा का समय से संचालन करने को लेकर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई। बैठक में भाग नहीं लेने पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई।

अधिवक्ता विंध्याचल राय सहित सिद्धार्थ प्रसाद, राणा विक्रम सिंह, रितेश कुमार, अशहर मुस्तफा, राजेश चौधरी ने हाई कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकते। वरीयता क्रम में चांसलर यानी राज्यपाल सबसे ऊपर होते हैं। उसके बाद वीसी, फिर प्रोवीसी होते हैं। उसके बाद विभाग के सचिव का नंबर आता है। ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को  नहीं बुला सकते।

उन्होंने दलील दी कि 2009 में चांसलर ने एक आदेश जारी कर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों को निर्देश दे रखा है कि उनकी अनुमति से ही मुख्यालय छोड़ना है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि बैठक में वीसी के साथ बदसलूकी की जाती है। जिस कारण कुलपतियों ने शिक्षा विभाग की मीटिंग में जाने से मना कर दिया। यही नहीं, पिछले दिनों दो दिवसीय बैठक एक होटल में आयोजित की गई थी। इसमें वीसी आए लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से कोई नहीं आया। 

विश्वविद्यालयों की ओर से हाई कोर्ट में कहा गया कि अब तो हाल यह हो गया है कि आरडीडीई वीसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा रहे हैं। शिक्षा विभाग एक माह में तीन-तीन सत्र की परीक्षा लेने का दबाव बना रहा है। वीसी के नियुक्ति में राज्य सरकार का कोई भूमिका नहीं है। फिर भी बेवजह दबाव बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के खातों के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है। 

यूनिवर्सिटी को जितना पैसा मिल रहा, बच्चों को दे दें तो कमाल हो जाए- शिक्षा विभाग
वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि जितना पैसा विश्वविद्यालयों को दिया जा रहा है, वो पैसा छात्रों को दे दिया जाए तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे। उनका कहना था कि राज्य सरकार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये देती है और शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों के तुलना में काफी खराब है। शिक्षा की बदतर स्थिति के कारण छात्रों का पलायन जारी है। उनका कहना था कि विभाग ने थोड़ी कड़ाई क्या की, कि सभी विचलित हो गए। छात्रों का भविष्य अंधकारमय है। 

उन्होंने बताया कि कोई भी विश्वविद्यालय समय पर परीक्षा नहीं ले रहा है। परीक्षा समय पर लेने के लिए बैठक बुलाई गई तो वीसी ने भाग नहीं लिया। कोर्ट में सभी कानून की बात कर रहे हैं लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर किस कानून के तहत विश्वविद्यालय पीएल खाता में पैसा रखते हैं। 

राज्यपाल ने दिया शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी के बीच सुलह का ऑफर?
राजभवन की ओर से वरीय अधिवक्ता डॉ केएन सिंह और राजीव रंजन कुमार पांडेय ने हाई कोर्ट को बताया कि प्रदेश के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सभी को आपसी मतभेद मिटा कर बैठक में भाग लेना चाहिए। उनके ही सुझाव के बाद कोर्ट ने बैठक में भाग लेने की बात कही। जिस पर सभी पक्षों ने अपनी सहमति जताई। कोर्ट ने सरकार के खर्च पर बैठक की तारीख, समय और स्थान तय किए। अदालत ने इस बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के वीसी रजिस्ट्रार,परीक्षा नियंत्रक और वित्तीय सलाहकार को भाग लेने का आदेश दिया।

अगले आदेश तक वीसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी
साथ ही शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ अपर मुख्य सचिव केके पाठक को भी बैठक में आने का आदेश दिया गया है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि उस दिन केके पाठक व्यस्त नहीं रहेंगे तो उनकी अध्यक्षता में ही बैठक होगी। उन्हें समय नहीं मिल पाया तो बैठक में सभी मुद्दों पर उचित तरीके से चर्चा की जाएगी। बैठक की पूरी कार्यवाही का वीडियोग्राफी होगी। कोर्ट ने उन सभी सभी आदेशों को जिसके तहत विश्वविद्यालय के अधिकारियों का वेतन रोक दिया गया और विश्वविद्यालयों के सभी खाते फ्रीज कर दिए गए उन्हें अगले आदेश तक स्थगित रखने का आदेश दिया।

पटना हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक सभी विश्वविद्यालयों और उसके अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार का दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय सभी सेवानिवृत्ति बकाया राशि का भुगतान करेंगे और कर्मचारियों का वेतन जारी  कर देगा। अदालत ने कहा कि विश्वविद्यालय परीक्षा कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगा ताकि शैक्षणिक सत्र को नियमित किया जा सके। और छात्रों का नुकसान कम से कम हो सके। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 17 मई रखी है।