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Hindi News लाइफस्टाइल पेरेंट्स गाइडबड़ी उम्र में मां बनने पर बच्चे और मां पर पड़ सकता है ये असर, जानें सही एज

बड़ी उम्र में मां बनने पर बच्चे और मां पर पड़ सकता है ये असर, जानें सही एज

मां बनने के लिए अब महिलाएं अपने करियर से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। बड़ी संख्या में अब वे पहले की तुलना में देर से मां बन रही हैं। मां बनने की राह में उम्र का हिसाब-किताब रखना कितना है जरूरी, बता रही हैं स्वाति गौड़

बड़ी उम्र में मां बनने पर बच्चे और मां पर पड़ सकता है ये असर, जानें सही एज
Kajal Sharmaहिंदुस्तानFri, 24 May 2024 02:35 PM
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मां बनना एक ऐसा खूबसूरत अहसास है, जिसका अनुभव करना अमूमन हर महिला का सपना होता है। लेकिन गर्भधारण करने के लिए कौन सी उम्र सही है, इस बारे में अलग-अलग महिलाओं के मत भी अलग-अलग ही हैं। कोई महिला किस उम्र में मां बनना चाहती है, यह उसका निजी निर्णय होना चाहिए। लेकिन ऐसी बहुत सी बातें हैं जो किसी महिला के मां बनने के फैसले को प्रभावित कर सकती हैं। परिवार बढ़ाने का फैसला लेने में पारिवारिक माहौल, निजी परिस्थितियां, महिला की शारीरिक एवं मानसिक सेहत सहित अन्य बहुत से कारण इस फैसले को प्रभावित कर सकते हैं। अभी कुछ साल पहले तक भी चौबीस-पच्चीस साल की उम्र तक शादी और फौरन बच्चा प्लान करने को ही सही फैसला माना जाता था। पर, बदलते समय ने महिलाओं की सोच को भी बदल दिया है। अब ज्यादातर युवतियां सबसे पहले अपने करियर पर फोकस करना चाहती हैं, फिर शादी करके नए रिश्ते को समय देना चाहती हैं और उसके बाद कहीं जाकर परिवार आगे बढ़ाने के बारे में सोचती हैं। हालांकि, इस बात में कोई बुराई नहीं है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार तीस साल की उम्र के बाद गर्भधारण करना हर महिला के लिए सुरक्षित नहीं होता है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ जटिलताएं भी बढ़ने लगती हैं।

प्रजनन क्षमता पर प्रभाव

उम्र बढ़ने के साथ-साथ ज्यादातर महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होने लगती है और उनके गर्भधारण करने की संभावना घटने लगती है। दरअसल, तीस साल की उम्र के बाद गर्भधारण करने को एडवांस मेटर्नल ऐज कहा जाता है। इसे यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि एक महिला का शरीर पंद्रह से तीस साल की उम्र के बीच गर्भधारण के लिहाज से पूरी तरह तैयार और सुरक्षित होता है। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि तीस साल के बाद कोई महिला मां नहीं बन सकती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ गर्भावस्था संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। ज्यादा उम्र में अंडाणु की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है, जिसकी वजह से प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर पाना जटिल और जोखिमपूर्ण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर आईवीएफ, आईयूआई, एंब्रियो डोनेशन या जेनेटिक स्क्र्रींनग के माध्यम से गर्भधारण करने की सलाह देते हैं। बढ़ती उम्र में गर्भधारण करना बहुत से अन्य कारणों से भी सुरक्षित नहीं माना जाता है:

भावनात्मक और शारीरिक चुनौतियां

गर्भवती होने से लेकर बच्चे के जन्म और फिर उसके पालन-पोषण में नई मां की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा पूरी तरह खत्म हो जाती है। तीस की उम्र तक या उससे पहले शरीर में ऊर्जा का स्तर ज्यादा बेहतर होता है इसलिए नवजात शिशु की देखभाल करते समय मां को बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती है। लेकिन बढ़ती उम्र भावनात्मक और शारीरिक रूप से मां को कमजोर बना देती है, ऐसे में नवजात शिशु की देखभाल समस्या को और बढ़ा सकती है।

बच्चों के बीच उम्र का सही अंतर

यदि एक ही बच्चा प्लान करना हो तो ज्यादा उम्र उतनी बड़ी समस्या नहीं लगती, लेकिन दूसरे बच्चे की प्र्लांनग करने में यह समस्या सामने आ सकती है। असल में, बड़ी उम्र में परिवार आगे बढ़ाते समय बच्चों के बीच उम्र का सही अंतर रखना संभव नहीं हो पाता क्योंकि प्रत्येक प्रेग्नेंसी अपने साथ पहले से ज्यादा जोखिम लेकर आती है।

सेहत संबंधी चुनौतियां

युवावस्था में मां बनना आमतौर पर ज्यादातर महिलाओं के लिए पूरी तरह सामान्य और सुरक्षित अनुभव होता है। लेकिन, उम्र बढ़ने के साथ-साथ उच्च रक्तचाप, मधुमेह, जोड़ों में दर्द या दिल की बीमारियां होने का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में इस तरह की शारीरिक समस्याओं के साथ गर्भधारण करना स्थिति को गंभीर और चुनौतीपूर्ण बना सकता है। इसके अलावा हाइपरटेंशन, थायरॉइड, गर्भपात, इंटरनल ब्र्लींडग, प्रीमेच्योर बच्चे का जन्म अथवा मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग शिशु के जन्म का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।

अनुवांशिक जोखिम की आशंका

ज्यादा उम्र की महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान अंडाणुओं में असामान्य वृद्धि या बदलाव आने का जोखिम बढ़ जाता है। इस कारण बार-बार गर्भपात या पैदा होने वाले शिशु में कोई अनुवांशिक समस्या होने का खतरा भी बढ़ सकता है।

निजी जीवन पर प्रभाव

ऐसा नहीं है कि ज्यादा उम्र में मां बनना सिर्फ शारीरिक रूप से ही खतरनाक है क्योंकि यह फैसला एक महिला के निजी जीवन को भी बड़े स्तर पर प्रभावित करता है। बच्चे का जन्म अपने साथ बहुत सी नई जिम्मेदारियां और बदलाव भी लेकर आता है। एक नई मां को किसी भी चीज से पहले अपने शिशु के बारे में सोचना होता है। ऐसे में उम्र के मध्य पड़ाव पर बच्चे की प्र्लांनग करियर से लेकर निजी रिश्ते तक सब कुछ प्रभावित कर सकती है। इसलिए अच्छी तरह सोच-समझ कर ही इस बारे में कोई निर्णय लेना चाहिए।

गर्भावस्था की तैयारी

तमाम जटिलताओं के बावजूद भी बड़ी संख्या में महिलाएं ज्यादा उम्र में भी बच्चे को जन्म देती हैं और मातृत्व के खूबसूरत अनुभव का आनंद उठाती हैं। इस दौरान किन बातों का ध्यान रखें ताकि गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, आइए जानें:

• डॉक्टर से नियमित सलाह: तीस साल की उम्र के बाद बच्चे की प्र्लांनग से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर मिलें ताकि वह आपकी संपूर्ण जांच करके सुनिश्चित कर सके कि आपका शरीर गर्भधारण करने के लिए सुरक्षित है। यदि आपको अनियमित पीरियड्स या बार-बार गर्भपात होने की समस्या हो तो खुल कर डॉक्टर से इस बारे में बात करें।

• फॉलिक एसिड का सेवन: गर्भवती महिलाओं के लिए फॉलिक एसिड का नियमित सेवन बेहद आवश्यक है क्योंकि फॉलिक एसिड शिशु के न्यूरल ट्यूब के समुचित विकास को सुनिश्चित करता है।

• कैफीन और नशे से दूरी: यदि मां बनने का निर्णय ले रही हैं तो जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करने आवश्यक हैं। जैसे गर्भधारण से पहले ही धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन पूरे तरीके से बंद कर देना चाहिए। साथ ही कैफीनयुक्त पेय पदार्थ का सेवन कम कर देना चाहिए। ’तनाव से दूरी: गर्भवती महिला को हमेशा खुश और तनाव मुक्त रहने की सलाह दी जाती है। असल में मां का मिजाज उसकी कोख में पल रहे बच्चे पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है। इसलिए यदि र्मां ंचता और तनाव से जितना दूर रहेगी, बच्चा भी उतना ही सेहतमंद पैदा होगा।

• संतुलित आहार पर ध्यान: मां की कोख में पल रहा शिशु सारा पोषण मां से ही प्राप्त करता है। सुनिश्चित करें कि आपके भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स और खनिज सहित सारे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में हों। ताजे फलों और मौसमी सब्जियों को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें और साथ ही जंक फूड का सेवन बंद कर दें।

• आर्थिक स्थिति का ख्याल: गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक और फिर उसके लालन-पालन पर काफी खर्च होता है। यदि आप ज्यादा उम्र में गर्भधारण की योजना बना रही हैं, तो यह खर्च और भी बढ़ सकता है, जो तनाव बढ़ाने के मुख्य कारणों में से एक है। इसलिए बच्चे की प्लानिंग करने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का जायजा अवश्य ले लेना चाहिए और अपने साथी से भी इस विषय में खुल कर और विस्तार से बात कर लेनी चाहिए।

(क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, गुरुग्राम में स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की वरिष्ठ निदेशक डॉ. दीपा धवन से बातचीत पर आधारित)