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इमरान खान को झटका, पाक सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार मामलों में जवाबदेही अदालतों को अंतिम फैसला सुनाने से रोका 

Pakistan Supreme Court jolt to Imran Khan: 'द न्यूज इंटरनेशनल' ने कहा कि उच्चतम न्यायालय (अभ्यास एवं प्रक्रिया) अधिनियम 2023 के कार्यान्वयन के बाद पहली 'अंतर-अदालत अपील' दायर की गई थी।

इमरान खान को झटका, पाक सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार मामलों में जवाबदेही अदालतों को अंतिम फैसला सुनाने से रोका 
Pramod Kumarभाषा,इस्लामाबादTue, 31 Oct 2023 06:52 PM
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पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामलों में देश की जवाबदेही अदालतों को अंतिम निर्णय सुनाने से मंगलवार को रोक दिया। मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई है। पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, "उच्चतम न्यायालय ने 15 सितंबर को बहुमत से दिए गए अपने फैसले के खिलाफ पहली बार 'अंतर-अदालत अपीलों' (ICA) की सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए, जिसने जवाबदेही कानून में संशोधनों को रद्द कर दिया था।"

इसमें कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने तब तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी जब तक मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों से संबंधित कानून पर कोई विस्तृत निर्णय नहीं आ जाता। 'द न्यूज इंटरनेशनल' ने कहा कि उच्चतम न्यायालय (अभ्यास एवं प्रक्रिया) अधिनियम 2023 के कार्यान्वयन के बाद पहली 'अंतर-अदालत अपील' दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि ,''पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) कानून में किए गए संशोधनों को चुनौती दी थी।''
    
पूर्व मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाज उल अहसान और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में 50 से अधिक सुनवाई की और 2022 में पहले और दूसरे एनएबी संशोधनों को 15 सितंबर को 2-1 के बहुमत से अमान्य घोषित कर दिया था।

पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फ़ैज़ ईसा की अध्यक्षता वाली बड़ी पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान, न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखाइल, न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह और न्यायमूर्ति सैयद हसन अज़हर रिज़वी शामिल थे, ने दो आईसीए पर विचार किया। एक याचिका संघीय सरकार द्वारा दायर किया गया था जबकि दूसरी याचिका SSGCL के पूर्व प्रबंध निदेशक जुहैर अहमद सिद्दीकी द्वारा दायर किया गया था।

पिछले साल जून में, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें संशोधनों को "संविधान के दायरे से बाहर" होने के कारण रद्द करने की प्रार्थना की गई थी।