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बनारस में मेट्रो परियोजना सालभर से ठंडे बस्ते में

बनारस में मेट्रो परियोजना सालभर से ठंडे बस्ते में है। नयी मेट्रो पॉलिसी के तहत डीपीआर के बाबत राइट्स ने अभी तक सर्वे को छोड़ कोई रिपोर्ट विकास प्राधिकरण को नहीं सौंपी। जबकि प्राधिकरण ने कम्पनी को कई...

बनारस में मेट्रो परियोजना सालभर से ठंडे बस्ते में
वाराणसी। कार्यालय संवाददाताFri, 05 Oct 2018 01:32 PM
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बनारस में मेट्रो परियोजना सालभर से ठंडे बस्ते में है। नयी मेट्रो पॉलिसी के तहत डीपीआर के बाबत राइट्स ने अभी तक सर्वे को छोड़ कोई रिपोर्ट विकास प्राधिकरण को नहीं सौंपी। जबकि प्राधिकरण ने कम्पनी को कई पत्र भेजा है। अंतिम पत्र 21 सितंबर को भेजा था। लिहाजा 2016 से मेट्रो ट्रेन केवल फाइलों में दौड़ रही है। 

सूबे की पिछली सरकार ने रेल इंडिया टेक्निकल व इकोनामिक सर्विसेज (राइट्स) से फरवरी 2016 में डीपीआर बनवाया। लगभग 17 हजार करोड़ से 29.4 किमी में दो कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए। मेट्रो को 22 किमी भूमिगत और 7.4 किमी तक एलीवेटेड (ऊपरगामी) लाइन पर दौड़ाने की डिजायन बनी। शासन ने दिसम्बर 2016 में केंद्र सरकार के पास डीपीआर भेजा। अक्तूबर 2017 में नई मेट्रो पॉलिसी बनने के बाद केंद्र ने डीपीआर संशोधित करने का निर्देश दिया। 

पिछले साल नवंबर में प्रदेश सरकार ने राइट्स को प्राधिकरण की मदद से फिर से डीपीआर बनाने को कहा। जिसमें मेट्रो स्टेशन को पीपीपी मॉडल पर संचालन और कंम्प्रहेंसिव रिपोर्ट के आधार पर तैयार करना है। मई में पहुंची राइट्स की टीम ने तमाम अध्ययन के बाद वीडीए अफसरों के सामने सर्वे की इंसेप्शन (आरम्भिक) रिपोर्ट पेश की। इसके बाद फिर बनारस नहीं आयी। 

दिसम्बर से अक्तूबर तक छह बार बदली डीपीआर भेजने की तिथि 
शासन ने संशोधित डीपीआर बनाने के लिए 30 दिसम्बर की तिथि तय की थी। तत्कालीन वीडीए उपाध्यक्ष ने दो बार पत्र लिखकर राइट्स को आमंत्रित किया, लेकिन राइट्स के अफसरों के नहीं पहुंचने पर तत्कालीन प्रमुख सचिव ने 31 जनवरी तक अंतिम समय देते हुए सर्वे का निर्देश दिया था। इसके बाद फरवरी में पहुंचे अफसरों ने नए डीपीआर के लिए प्राधिकरण सचिव से अनुबंध किया। इसके तहत 28 मार्च तक रिपोर्ट देनी थी पर नहीं दी। इसके बाद कम्पनी 30 मई, फिर अगस्त और अब अक्तूबर में डीपीआर बनाने का आश्वासन दिया है। 

डीपीआर के लिए अब 3.81 करोड़ रुपये खर्च
2016 में डीपीआर बनाने के लिए वीडीए ने तीन करोड़ रुपए राइट्स को दिये थे। इसके बाद दोबारा सर्वे के लिए भी 81 लाख रुपए जारी कर दिया है। 

कम्प्रीहेंसिव मोबिलिटी प्लान तैयार करेगी राइट्स 
शासन के निर्देश पर राइट्स को इस बार नयी मेट्रो पॉलिसी के तहत फीजिबिलिटी के साथ ही शहर का कम्प्रीहेंसिव मोबिलिटी प्लान भी बनाना है। अन्य यातायात माध्यमों के लिए अल्टरनेटिव एनालेसिस रिपोर्ट भी बनानी है। जिसमें मेट्रो के अलावा ट्रॉम, मोनो रेल, लाइट मेट्रो, कार आदि की संभावना भी तलाशी जा रही है। 

क्या है नई मेट्रो रेल नीति -2017
नई मेट्रो रेल नीति में 20 लाख की आबादी के मद्देनजर डीपीआर बनाना होगा। जिसमें पीपीपी मॉडल से स्टेशनों का संचालन हो सके। मेट्रो रूटों को एयरपोर्ट, वाटर-वे, रोडवेज, रेलवे सहित अन्य परिवहन स्थलों से ज्यादा से ज्यादा जोड़ना होगा। नई नीति में मेट्रो लाइन के दोनों ओर पांच किमी क्षेत्र में लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए फीडर सेवाओं, पैदल व साइकिल ट्रैक आदि के अलावा भविष्य के विकास का खाका बनाना जरूरी है। मेट्रो की मंजूरी के लिए शहरों को साबित करना होगा कि वह किस तरह रेल, ट्राम, रोडवेज या अन्य परिवहन के मुकाबले बेहतर हैं। किराया तय के लिए स्वतंत्र प्राधिकरण की स्थापना भी करनी होगी।

पुराने डीपीआर में प्रस्तावित रूट 
रूट -1 : बीएचयू से तुलसी मानस मंदिर, रत्नाकर पार्क, दुर्गा मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, बेनियाबाग, रथयात्रा, विद्यापीठ, कैंट स्टेशन, नदेसर, कलक्टे्रट, भोजूबीर, गिलट बाजार, तरना से भेल तक।
रूट-2 : दूसरा कॉरीडोर बेनियाबाग, कोतवाली, मछोदरी पार्क, काशी बस डिपो, जलालीपुरा, पंचक्रोशी, आशापुर होते हुए सारनाथ तक बनाया जाना है। बेनियाबाग दोनों कॉरिडोर का जंक्शन होगा।

नयी मेट्रो पॉलिसी के तहत राइट्स डीपीआर बना रही है। इस बार राइट्स को कम्प्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान व अल्टरनेटिव एनालिसिस की रिपोर्ट पेश करनी है। टीम ने सर्वे के बाद इंस्पेशन रिपोर्ट प्रस्तुत की है। हालांकि अभी अंतरिम रिपोर्ट, ड्राफ्टिंग, फीडबैक के बाद डीपीआर तैयार होगा। टीम को वीडीए की तरफ से कई बार पत्र भेजा जा चुका है। 
मनोज कुमार, सहायक नगर नियोजक-वाराणसी विकास प्राधिकरण