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रेलवे का फरमान: ट्रेन में कितने चूहे पकड़े, फोटो खींचकर भेजो

यात्रियों और रेलवे के लिए सिरदर्द बने ट्रेन के चूहों को पकड़ने में लापरवाही अब नहीं चलेगी। चूहों को पकड़ने की सही रिपोर्टिंग के लिए रेल अफसरों ने नया फरमान जारी किया है। इस काम में लगे कर्मचारियों से...

रेलवे का फरमान: ट्रेन में कितने चूहे पकड़े, फोटो खींचकर भेजो
गोरखपुर, आशीष श्रीवास्तव Thu, 29 Nov 2018 07:07 AM
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यात्रियों और रेलवे के लिए सिरदर्द बने ट्रेन के चूहों को पकड़ने में लापरवाही अब नहीं चलेगी। चूहों को पकड़ने की सही रिपोर्टिंग के लिए रेल अफसरों ने नया फरमान जारी किया है। इस काम में लगे कर्मचारियों से कहा गया है कि वे ट्रेन में पकड़े गए चूहों की फोटो खींचकर वाट्सएप ग्रुप में साझा करें। नई व्यवस्था शुरू भी हो गई है।

चूहे पकड़ने के लिए ट्रेनों में दवाओं और कीटनाशक के ज्यादा कारगर न होने के कारण लगभग सभी प्रमुख ट्रेनों में रैट ट्रैप लगाए जा रहे हैं। हर बोगी में चार से पांच ट्रैप लगाए गए हैं। इनमें से अधिकतर में चूहे पकड़े जाते हैं। अभी तक सिर्फ पकड़े गए चूहों की गिनती कर रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा था, लेकिन अब उनकी फोटो खींच कर ग्रुप में साझा करनी होगी ताकि पकड़े गए चूहों की सही रिपोर्टिंग हो सके। चूहों को पकड़ने के लिए आउटसोर्सिंग पर रेलवे ने दस कर्मचारियों को तैनात कर रखा है, जो रोजाना 12 ट्रेन के 96 कोचों में रैट ट्रैप लगाकर चूहों को पकड़ते हैं। 

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इन ट्रेनों में पकड़े गए सर्वाधिक चूहे

बीते छह महीनों में सर्वाधिक चूहे गोरखपुर-कोलकाता, पूर्वांचल एक्सप्रेस, कोचीन और राप्तीसागर एक्सप्रेस समेत 12 ट्रेन में पकड़े गए हैं। मुम्बई और चेन्नई तक सफर करने वाले चूहों की संख्या भी कम नहीं है। बिना किसी रोक-टोक चूहे आराम से एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक यात्रा तो करते ही हैं यात्रियों को भी जमकर तंग करते हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि चूहों को पकड़ना आसान नहीं होता। छोटे चूहे तो रैट कैचर में आसानी से आ जाते हैं लेकिन बड़े काफी तंग करते हैं। धरपकड़ लगातार जारी है लेकिन चूहे हैं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।

हर साल दस लाख रुपये खर्च

गोरखपुर में चूहों को पकड़ने के लिए हर साल करीब 10 लाख खर्च होते हैं। इसमें रैट ट्रैप, पेस्टीसाइड, केमिकल और स्टाफ का मानदेय शामिल है। 

रेलवे के लिए बड़ी चुनौती

चूहे पटरियों के नीचे की मिट्टी को खोखला कर देते हैं। साथ ही कई जगह की वायरिंग भी काट देते हैं। साथ ही ट्रेनों में कई जगह से सीट कवर भी काट देते हैं। सूत्रों के अनुसार इन सब पर पूर्वोत्तर रेलवे को हर साल डेढ़ से दो करोड़ रुपये की चपत लगती है। 

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क्या नुकसान पहुंचाते हैं चूहे

-चूहों की नजर यात्रियों के खाने-पीने के सामानों पर रहती है

-सीट कवर को कुतर कर खराब कर देते हैं

-एसी कोच में रखे बेडरोल को भी कुतरने में परहेज नहीं करते

-कभी-कभी लाइट और पंखों का तार भी काट देते हैं

चूहे के काटने पर रेलवे को देना पड़ा था 25 हजार जुर्माना

तमिलनाडु के यात्री वेंकटचलम चेन्नई की यात्रा कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक चूहे ने काट लिया। उन्होंने इसकी शिकायत की और अगले स्टेशन पर उतरकर इलाज कराया। इलाज के बाद उन्होंने कन्ज्यूर फोरम में केस किया और चार साल की लड़ाई के बाद उन्हें 25 हजार रुपये देने के लिए रेलवे को मजबूर होना पड़ा। 

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बीते छह महीने में ट्रेन में पकड़े गए चूहे

जून       -        225

जुलाई     -     175

अगस्त   -      162

सितम्बर -     203

अक्तूबर   -     130

28 नवम्बर तक 200

आंकड़ों पर नजर

10 कर्मचारी रोज करते हैं चूहे पकड़ने का काम 

1500 चूहे पकड़ लिए जाते हैं सालाना गोरखपुर में

रेल अफसरों ने चूहे पकड़ने की सही रिपोर्टिंग के लिए बनाई व्यवस्था

चूहे पकड़कर उनकी फोटो वाट्सएप ग्रुप पर साझा कर रहे हैं कर्मचारी

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