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रेलवे कोआपरेटिव बैंक में खाली पड़े 34 पद है सबकी नजर

बैंक अध्यक्ष का दावा रिजर्व बैंक कह रहा खर्च घटाइए तो कैसे होगी नियुक्तिबैंक अध्यक्ष का दावा रिजर्व बैंक कह रहा खर्च घटाइए तो कैसे होगी...

रेलवे कोआपरेटिव बैंक में खाली पड़े 34 पद है सबकी नजर
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 15 May 2023 01:52 AM
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गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता।

रेलवे कोआपरेटिव बैंक में दबंगई के बल पर नौकरी हासिल करने की परंपरा पुरानी है। यही वजह है कि बैंक के खाली पड़े करीब 34 पद पर सबकी नजर है। इन पदों पर नियुक्ति के साथ ही पुरानी नियुक्ति की फाइल खंगालने और अपना-अपना वर्चस्व कायम रखने को लेकर यहां इन दिनों विवाद बढ़ा है और इसी विवाद का नतीजा वर्तमान में हुई मुकदमेबाजी है। हाल यह है कि दोनों गुट के लोगों पर मुकदमा है। धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने जहां बैंक अध्यक्ष अनिल सिंह विशेन सहित अन्य पर केस कराया है तो अनिल सिंह विशेन का दावा है कि धीरेन्द्र श्रीवास्तव पर पहले से केस दर्ज है।

रेलवे कोआपरेटिव बैंक में वर्ष 2001 कुल 123 कर्मचारियों की संख्या थी। वर्तमान में 89 कर्मचारी बचे हैं। 34 खाली पदों पर कई लोगों की नजर है इसमें कुछ संविदाकर्मी को परमानेंट कराने के साथ ही कुछ नई भर्ती को लेकर माफिया सहित अन्य ने दखल देनी शुरू कर दी है। बैंक के सहायक सचिव धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने जो मुकदमा दर्ज कराया है उसमें उन्होंने जिक्र किया है कि वर्तमान बैंक अध्यक्ष अनिल सिंह विशेन ने 3 मई को बैंक के सचिव महिपाल सिंह पर सगे बहनोई बलवंत सिंह जो बैंक में संविदा पर कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करते हैं उन्हें नियमित कर्मचारी के तौर पर नियुक्त करने के लिए दबाव बनाया था।

सचिव के इंकार करने पर उन्हें तब मारा था और जान मॉल की धमकी दी थी। बैंक की छवि खराब न हो इसलिए इस घटना की सूचना सचिव के साथ ही अन्य कर्मचारियों ने किसी अधिकारी या पुलिस को नहीं दी थी। बैंक अध्यक्ष ने सचिव पर दबाव बनाने के लिए माफिया अजीत शाही को बुलाया था। माफिया अपने गुर्गों के साथ पहुंचा था। हालाकिं बैंक अध्यक्ष ने कहा कि वह बैंक के भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रहे हैं तो सबको दिक्कत हो रही है। नियुक्ति के सवाल पर अध्यक्ष का कहना है कि किसी की नियुक्ति बिना रिजर्व बैंक के अनुमति की नहीं हो सकती, बैंक वैसे ही घाटे में चल रहा है।

भर्ती से संबंधित फाइल नहीं दी जा रही है

अध्यक्ष अनिल सिंह विशेन के मुताबिक रिजर्व बैंक बार-बार खर्च घटाने के लिए कह रहा है। ऐसे में नियुक्ति करने की अनुमति कहां से मिलेगी। कहा कि पूर्व में हुई नियुक्तियों पर सवाल उठाना असली वजह है। 2019 में हुई एक नियुक्ति का उन्होंने विरोध किया था। 1999 की भर्ती की फाइल मांग रहे हैं तो नहीं मिल रही है। दावा किया कि उनके खिलाफ एक भी केस इससे पहले नहीं दर्ज हुआ है पर धीरेन्द्र श्रीवास्तव हत्या में जेल काटकर आए हैं। जालसाजी का केस भी उनके खिलाफ चल रहा है। बताया कि लगातार दूसरी बार वह अध्यक्ष बने हैं। अक्टूबर 2022 में चुनाव की प्रक्रिया चालू हुई तो हाईकोर्ट गए। कोर्ट ने तीन साल की जगह पांच साल में चुनाव कराने के लिए कहा। इसी के बाद से भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी तरह से उन्हें हटाना चाहते हैं।

अध्यक्ष के खिलाफ शिकायत में शामिल हैं यह कर्मचारी

बैंक के कर्मचारी राकेश कुमार सिंह, यशवंत सिंह, रविन्द्र, दिनेश कुमार शाही, विनय श्रीवास्तव, अरविंद कुमार, संतोष कुमार, धीरेन्द्र, एसआरपी दिलीप, अजीत कुमार शाही, इंद्रजीत बहादुर, संजय कुमार श्रीवास्तव, धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव आदि ने रेलवे कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष अनिल सिंह विशेन, माफिया अजीत शाही, कौशल कुमार शाही, प्रदीप श्रीवास्तव सहित अन्य के खिलाफ शिकायत की है। पुलिस को दिए तहरीर में इन सभी कर्मचारियों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं।

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