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Hindi News देशफिर आई सैम पित्रोदा जैसी सलाह, भारत में 33 फीसदी विरासत कर लगाने का दिया प्रस्ताव

फिर आई सैम पित्रोदा जैसी सलाह, भारत में 33 फीसदी विरासत कर लगाने का दिया प्रस्ताव

अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने अपने एक रिसर्च पेपर में सुझाव दिया है कि भारत में 10 करोड़ से अधिक की शुद्ध संपत्ति पर 2 प्रतिशत कर लगना चाहिए। इसके अलावा 33 फीसदी का विरासत कर भी लगना चाहिए।

फिर आई सैम पित्रोदा जैसी सलाह, भारत में 33 फीसदी विरासत कर लगाने का दिया प्रस्ताव
Surya Prakashभाषा,नई दिल्लीFri, 24 May 2024 05:02 PM
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सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों भारत में विरासत कर का सुझाव दिया था, जिस पर कांग्रेस बुरी तरह से घिर गई थी। इसके चलते पित्रोदा को कांग्रेस से इस्तीफा ही देना पड़ा था। इस मामले को पीएम नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के तमाम नेताओं ने मुद्दा बनाया था। इस बीच अब फ्रांस के एक नामी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने भी ऐसा ही सुझाव दिया है। उनकी अगुवाई में तैयार एक रिसर्च में पेपर में कहा गया है कि भारत में बढ़ती असमानता को दूर करने के लिए 10 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध संपत्ति पर दो प्रतिशत कर और 33 प्रतिशत विरासत कर लगाने की जरूरत है। 

इस रिसर्च पेपर में संपदा के वितरण के केंद्रीयकरण से निपटने के लिए धनाढ्य लोगों पर एक व्यापक कर पैकेज का प्रस्ताव रखा गया है।  'भारत में अत्यधिक असमानताओं से निपटने के लिए संपत्ति कर पैकेज के प्रस्ताव' शीर्षक वाले शोध-पत्र के मुताबिक '99.96 प्रतिशत वयस्कों को कर से अप्रभावित रखते हुए असाधारण रूप से बड़े कर राजस्व में वृद्धि की जानी चाहिए।' इसमें कहा गया है, 'आधारभूत स्थिति में 10 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध संपत्ति पर दो प्रतिशत वार्षिक कर और 10 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पर 33 प्रतिशत विरासत कर लगाने से मिलने वाला राजस्व सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.73 प्रतिशत का बड़ा योगदान देगा।'
 
शोध पत्र में कहा गया है कि कराधान प्रस्ताव के साथ गरीबों, निचली जातियों और मध्यम वर्ग को समर्थन देने के लिए स्पष्ट पुनर्वितरण नीतियों की जरूरत है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, आधारभूत परिस्थिति में शिक्षा पर वर्तमान सार्वजनिक खर्च को लगभग दोगुना करने की संभावना बनेगी। यह पिछले 15 वर्षों में जीडीपी के 2.9 प्रतिशत पर स्थिर रहा है, जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में छह प्रतिशत व्यय का निर्धारित लक्ष्य रखा गया है। यह शोध-पत्र पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के मशहूर अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एवं वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब से जुड़े लुकास चांसेल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से जुड़े नितिन कुमार भारती ने लिखा है।

यह शोध-पत्र कराधान प्रस्ताव पर बड़े पैमाने पर बहस की जरूरत बताते हुए कहता है कि कर न्याय और धन पुनर्वितरण पर व्यापक लोकतांत्रिक बहस से आम सहमति बनाने में मदद मिलेगी। भारत में आय और संपत्ति की असमानता को लेकर होने वाली बहस ने पिछले कुछ समय में जोर पकड़ा है। इसके पहले जारी 'भारत में आय और संपत्ति असमानता 1922-2023' रिपोर्ट भी कहती है कि भारत में आर्थिक असमानताएं ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इसमें कहा गया है कि इन चरम असमानताओं और सामाजिक अन्याय के साथ उनके घनिष्ठ संबंध को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।