ट्रेंडिंग न्यूज़

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News NCR नई दिल्लीडीपी1::वंदे मातरम' को 'जन गण मन' के बराबर दर्जा

डीपी1::वंदे मातरम' को 'जन गण मन' के बराबर दर्जा

केंद्र सरकार ने एक याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट को दी जानकारी कहा-हर नागरिक को...

डीपी1::वंदे मातरम' को 'जन गण मन' के बराबर दर्जा
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 05 Nov 2022 07:10 PM
ऐप पर पढ़ें

नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता।

केंद्र सरकार ने शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट को जानकारी दी कि 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगान 'जन गण मन' दोनों का दर्जा बराबर है। देश के हर नागरिक को दोनों के प्रति समान सम्मान दिखाना चाहिए। केंद्र ने उस याचिका का जवाब दिया है, जिसमें राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' को समान सम्मान और दर्जा देने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए अपील की गई थी।

हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय और अन्य से जवाब मांगा था। याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई कि हर कार्य दिवस पर सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में 'जन-गण-मन' और 'वंदे मातरम' बजाया और गाया जाए।

याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि 'वंदे मातरम' का सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य है। देश को एकजुट रखने के लिए ‘जन ​​गण मन और ‘वंदे मातरम को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार करना सरकार का कर्तव्य है। ‘वंदे मातरम में व्यक्त भावनाएं राष्ट्र के चरित्र और शैली को दर्शाती हैं और समान सम्मान के पात्र हैं।

‘वंदे मातरम का इतिहास

याचिका में बताया गया कि रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1896 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में 'वंदे मातरम' गाया था। दक्षिण चरण सेन ने पांच साल बाद 1901 में कलकत्ता में एक और कांग्रेस अधिवेशन में इसे गाया। सरला देवी चौदुरानी ने 1905 में बनारस कांग्रेस अधिवेशन में ‘वंदे मातरम गाया। लाहौर से ‘वंदे मातरम नामक पत्रिका की शुरुआत की गई।

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।