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किंग्स-वे से राजपथ और अब कर्तव्य पथ: इतिहास के पन्ने में दर्ज दिल्ली की ऐतिहासिक सड़कों की कहानी

केंद्र सरकार राजपथ और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने जा रही है। इसका पहला नाम किंग्सवे था, जो किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में रखा गया था।

किंग्स-वे से राजपथ और अब कर्तव्य पथ: इतिहास के पन्ने में दर्ज दिल्ली की ऐतिहासिक सड़कों की कहानी
Prabhash Jhaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीMon, 05 Sep 2022 11:07 PM
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आप नई दिल्ली की जिस ऐतिहासिक सड़क पर सालों से गणतंत्र दिवस की परेड में सैनिकों की कदमताल का तराना सुनते रहे हैं, अब उस रोड का नाम राजपथ नहीं रहेगा। केंद्र सरकार ने राजपथ और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है।  नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलने के लिए 7 सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें नए नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले दिन यानी 8 सितंबर की शाम को इस क्षेत्र का उद्घाटन करेंगे। इस क्षेत्र का विकास नए सिरे से सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत किया गया है। 

राजपथ का संबंध ब्रिटिश राजा किंग जॉर्ज पंचम से है।  यही नहीं, इंडिया गेट पर जिस स्थान पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री करेंगे, वहां काफी पहले किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हुआ करती थी। गौरतलब है कि किंग जॉर्ज पंचम के खिलाफ बोस ने विद्रोह किया था। वर्ष 1911 के दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए किंग जॉर्ज पंचम दिल्ली आए थे और उनके सम्मान में ही ब्रिटिश काल में इस रोड का नाम किंग्स-वे रखा गया था। आजादी के बाद ही सेंट्रल विस्टा का नाम राजपथ में बदल दिया गया था। इससे मिलने वाली एक सड़क का नाम क्वींस-वे रखा गया था, जिसे अब आप जनपथ के नाम से जानते हैं। 

सबसे पहले अलबुकर्क रोड का नाम बदला
राजधानी की सड़कों के नामों के बदलने के सिलसिले सबसे पहले अलबुकर्क रोड का नाम बदला गया था। महात्मा गांधी ने अपने जीवन के अंतिम समय अलबुकर्क रोड के बिड़ला हाउस में बिताए थे, इसलिए उनकी हत्या के तुरंत बाद इस सड़क का नाम 30 जनवरी मार्ग कर दिया गया। आजादी के आठ साल बाद वर्ष 1955 में किंग्स-वे राजपथ और  क्वींस-वे हो गया जनपथ। यार्क रोड जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू को 2 सितंबर, 1946 में देश में अंतरिम सरकार के गठन के समय रहने का लिए बंगला मिला था, उसका नाम बदलकर मोतीलाल नेहरू मार्ग हो गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद क्वींस विक्टोरिया रोड के बंगले में रहते थे, इसलिए इस रोड का नाम उनके नाम पर पड़ गया। देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का निवास किंग एडवर्ड रोड पर था तो उनकी मृत्यु के बाद इसका नाम बदलकर मौलाना आजाद रोड रख दिया गया।

मोदी सरकार में इन सड़कों के नाम बदले
राजधानी में 1970 के दशक के मध्य और 1980 के दशकों में अनेक सड़कों के नाम बदलते रहे। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में भी सड़कों के नाम बदलने का सिलसिला जारी है। साल 2016 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया,जहां प्रधानमंत्री आवास है। इससे एक साल पहले साल औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया। साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दारा शिकोह रोड कर दिया गया। अकबर रोड का नाम बदलने के भी अनेक प्रस्ताव आए हैं, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

पहली परेड राजपथ पर नहीं हुई थी
वर्ष 1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी, जिसे आज  हम नेशनल स्टेडियम के नाम से जानते हैं। इसके बाद भी अगले चार साल तक गणतंत्र दिवस इर्विन स्टेडियम, किंग्स-वे कैंप से लेकर लाल किला और रामलीला मैदान तक आयोजित होता रहा। वर्ष 1955 में जाकर राजपथ 26 जनवरी परेड का स्थायी स्थल बन गया। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के 3 किमी तक का स्ट्रेच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंदर आता है। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में सिर्फ राजपथ का नाम नहीं बदलने जा रहा है, इसका स्वरूप भी काफी भव्य हो गया है। राजपथ को दोनों तरफ 6-6 फीट चौड़ा कर दिया गया है।