ट्रेंडिंग न्यूज़

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News Astrologynautapa kab se start hai date time dos and donts

नौतपा 25 मई से, इन बातों का रखें ध्यान, पुण्य फल की होगी प्राप्ति

Nautapa : सबसे गर्म नौ दिन, जिन्हें नौतपा कहा जाता है, इस साल ये 25 मई से शुरू होंगे और दो जून तक रहेंगे। 25 मई को दोपहर 3 बजकर 17 मिनट पर सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ नौतपा का आरंभ होगा।

नौतपा 25 मई से, इन बातों का रखें ध्यान, पुण्य फल की होगी प्राप्ति
Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 24 May 2024 05:27 AM
ऐप पर पढ़ें

सबसे गर्म नौ दिन, जिन्हें नौतपा कहा जाता है, इस साल ये 25 मई से शुरू होंगे और दो जून तक रहेंगे। 25 मई को दोपहर तीन बजकर 17 मिनट पर सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ नौतपा का आरंभ होगा। कृष्ण पक्ष की द्वितीया को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और आठ जून तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य जितने दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं उतने दिन भीषण गर्मी का एहसास होता है और इसी अवधि को नौतपा कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस समय सूर्य देव की पूजा करने से इस अवधि से सुरक्षा प्राप्त होती है। साथ ही बढ़ते तापमान से अपने परिवार को बचाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ पूजा अनुष्ठान जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं। नौतपा के समय में पानी, दही, दूध, नारियल पानी और अन्य ठंडी चीजों का सेवन करने के साथ इनका दान भी करना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।

नौतपा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

लोगों को बिना कुछ खाए घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस दौरान महिलाओं को अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगानी चाहिए, क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होती है। इस दौरान आवश्यकतानुसार ग्लूकोज का सेवन भी करते रहना चाहिए। इन दिनों लोगों को मुलायम और सूती कपड़े पहनने चाहिए। इस अवधि के दौरान लोगों को तली-भुनी और मसालेदार चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए और बासी खाना खाने से बचना चाहिए।

25 मई से शुरू होंगे इन राशियों के अच्छे दिन, सूर्य देव चमकाएंगे भाग्य का सितारा

नौतपा में लगाएं पौधे और पशु पक्षियों को पिलाएं पानी

मान्यताओं के अनुसार नौतपा में कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करने से व्यक्ति को पुण्य फल मिलता है। इस दौरान अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए। पशु -पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ प्रसन्न होते हैं। वहीं जल, पंखे, घड़ा, चप्पल, अन्न, छाता आदि का दान करने से भी पुण्य फल मिलता है।