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पुल का काम फिर से शुरू, दिवाली तक पूरा होने की उम्मीद

आपके अपने लोकप्रिय अखबार हिन्दुस्तान में लगातार उठ रहे मुद्दे ने असर दिखाया है। शहर में तिर्वा क्रॉसिंग पर अधूरे पड़े निर्माणाधीन पुल पर फिर से काम शुरू हो गया है। अब पुल कब बनकर पूरा होगा, यह तो अफसर...

पुल का काम फिर से शुरू, दिवाली तक पूरा होने की उम्मीद
हिन्दुस्तान टीम,कन्नौजMon, 08 Oct 2018 10:50 PM
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आपके अपने लोकप्रिय अखबार हिन्दुस्तान में लगातार उठ रहे मुद्दे ने असर दिखाया है। शहर में तिर्वा क्रॉसिंग पर अधूरे पड़े निर्माणाधीन पुल पर फिर से काम शुरू हो गया है। अब पुल कब बनकर पूरा होगा, यह तो अफसर ही जानें, लेकिन काम शुरू होने से लोगों को राहत जरूर मिली है। निर्माण एजेंसी की मानें तो दिवाली तक शहर को नया पुल मिल जाएगा। हालांकि इसके पहले का दिया गया भरोसा हर बार गलत ही साबित हुआ है।

दरअसल शहर में तिर्वा रेलवे क्रॉसिंग पर बनने वाले पुल का काम शुरू होकर बंद हो जाता है। सपा सरकार में 2015 की जनवरी में शुरू हुआ काम दो साल तक चला। 2017 में सरकार बदली तो करीब एक साल तक काम ठप पड़ गया। उसके बाद इस साल मार्च के आखिरी में फिर से काम शुरू हुआ। बताया गया कि दो महीने में पुल बनकर तैयार हो गया। लेकिन छह माह से ज्यादा का समय बीत गया, पुल नहीं बन सका। कछुए की चाल की तरह चार महीने तक काम हुआ, उसके बाद से काम बंद पड़ा हुआ है। दो महीने से काम के नाम पर कुछ नहीं हुआ। हर बार कोई न कोई वजह बताकर मामला लटकाया जाता रहा। दो महीने काम बंद होने के पीछे अहम वजह बारिश बताई गई, लेकिन बरसात को बीते भी एक महीने से ज्यादा गुजर गया, फिर भी काम शुरू नहीं हुआ। इस मामले को हिन्दुस्तान ने लगातार खबरों का प्रकाशन किया। खबर छपने से जिम्मेदार अफसरों की नींद खुली। निर्माण एजेंसी को जिला प्रशासन से दिशा-निर्देश भी मिले। अब काम को फिर से शुरू किया गया है।

फिलहाल तो सिर्फ रोड रोलर

हालांकि खबरों के प्रकाशन से हड़बड़ाए अफसरों ने काम तो शुरू करवा दिया है, लेकिन फिलहाल काम के नाम पर सिर्फ लेबलिंग ही किया जा रहा है। एक रोड रोलर पुल पर बिछे पत्थरों को बराबर कर रखा है।

...तो, नोडल अफसर से बोला गया झूठ

पुल निर्माण को लेकर अफसर कितने संजीदा हैं, इसकी नजीर देखिए। पिछले महीने राजधानी से यहां जिले की नोडल अफसर रौशन जैकब यहां आईं तो पुल का काम बंद होने पर नाराजगी जताई। उन्होंने वजह पूछी तो वही बारिश का बहाना बताया गया। लेकिन उन्होंने सख्त लहजे में समय-सीमा पूछी तो अफसरों ने पांच अक्टूबर बता दिया। लेकिन पांच अक्टूबर को काम पूरा होना तो छोड़िए, काम शुरू भी नहीं हुआ। इससे साफ जाहिर होता है कि जिले के अफसर नोडल अफसर को भी गलत बोलने से नहीं चूकते।