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Hindi News करियरSubhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi : नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पराक्रम दिवस पर आसान भाषण

Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi : नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पराक्रम दिवस पर आसान भाषण

Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi : सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के मौके पर भाषण, क्विज व निबंध प्रतियोगिता आयोजित होती हैं। इसके लिए आप नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते हैं।

Subhash Chandra Bose Jayanti Speech in Hindi : नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पराक्रम दिवस पर आसान भाषण
Pankaj Vijayलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 23 Jan 2024 08:04 AM
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Subhash Chandra Bose Jayanti Speech , Parakram Diwas Speech : भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के करिश्माई नेता और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पराक्रम दिवस ( Parakram Diwas ) के रूप में मनाया जाता है। महान स्‍वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की जयंती के अवसर पर आज कृतज्ञ राष्‍ट्र उन्‍हें याद कर रहा है। लाखों भारतीय युवाओं के आदर्श और नेताजी के नाम से मशहूर सुभाष चंद्र बोस ने तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा....! जय हिन्द, चलो दिल्ली जैसे ज्वलंत नारे दिए जिन्होंने आजादी की लड़ाई की धार को तेज किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के मौके पर स्कूल व कॉलेजों में नेताजी पर आधारित भाषण, क्विज व निबंध प्रतियोगिता आयोजित होती हैं। अगर आपको भी ऐसी किसी भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है तो आप नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते हैं।

Subhash Chandra Bose Jayanti Speech : सुभाष चंद्र बोस जयंती पर भाषण ( पराक्रम दिवस भाषण ) 

आदरणीय प्रिंसिपल सर, अध्यापक गण और मेरे प्यारे साथियों। आज 23 जनवरी को उस शख्स की जयंती है जिसके आह्वान पर हजारों लोग आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। जिसके जादुई और अद्भुत नेतृत्व कौशल ने भारतीय स्वतंत्र संग्राम में नई जान फूंकी। आज महान 23 जनवरी को स्‍वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की जयंती है। आज कृतज्ञ राष्‍ट्र उन्‍हें याद कर रहा है। नेताजी की जीवनी, उनके क्रांतिकारी विचार और उनका कठोर त्याग व बलिदान भारतीय युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक रहा है और आगे भी रहेगा। 
 
आज के दिन पूरा देश पराक्रम दिवस भी मना रहा है। भारत सरकार ने वर्ष 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ऐसे कई नारे दिए जिन्होंने आजादी की लड़ाई में नई जान फूंकी जैसे 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा....!', और जय हिन्द! ऐसे नारे थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई को तेज किया और उसे धार दी।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। बचपन से ही वह पढ़ाई के काफी तेज थे। स्कूल के दिनों से उनका राष्ट्रवादी स्वभाव सबको नजर आता था। स्कूलिंग के बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन उग्र राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण उन्हें निकाल दिया गया। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। नेताजी ने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय सिविल सेवा की आरामदेह नौकरी ठुकरा दी। भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में उनकी रैंक 4 थी। किसी भी भारतीय के लिए सिविल सेवक का पद बेहद प्रतिष्ठित होता है लेकिन नेताजी ने अपना शेष जीवन भारत को ब्रिटिश औपनिवेशक शासन से मुक्त कराने में समर्पित करने का फैसला किया। 

1919 में हुए जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें कई बार जेल में डाला गया लेकिन देश को आजाद कराने का उनका निश्चय और दृढ़ होता चला गया।

अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'

उनके गांधी जी के साथ गंभीर मतभेद हो गये थे हालांकि उन्होंने कभी भी गांधी जी का अनादर नहीं किया। राष्ट्रीय कांग्रेस से स्वयं को अलग करने की बजाय उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के साथ मिलकर स्वतंत्रता के लिये काम जारी रखा। यहां तक कि कई वर्षों के बाद 1944 में एक रेडियो प्रसारण में, सुभाष पहले व्यक्ति थे जिन्होंने गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ पुकारा।

नेताजी भारत की आजादी को लेकर बेचैन थे। उन्होंने जन-जन में आजादी के संघर्ष की अलख जगा दी। अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 1943 में 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। जर्मनी, इटली, जापान, आयरलैंड, चीन, कोरिया, फिलीपींस समेत 9 देशों की मान्यता भी इस सरकार को मिल गई थी।

इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।' उन्होंने एक नए हौसले के साथ ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया और हिंदुस्तान को आजाद कराने के लिए कूच कर दिया। इसके आलावा उन्होंने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन भी जर्मनी में शुरू किया और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। 

साथियों, आज के युवा सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेते हैं। उनके विचार और उनके कथन आज भी भारतीय जनता के दिलों में बसे हुए हैं। उनके ऊर्जावान नारे आज भी प्रासंगिक हैं। जय हिंद का नारा लगाते ही माहौल देशभक्ति से भर जाता है। साथियों, आज का दिन नेताजी के जीवन और त्याग व बलिदान से सीख लेना का दिन है। आज हमें उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

इसी के साथ मैं अपने भाषण का समापन करना चाहूंगा। जय हिन्द। भारत माता की जय।

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