ट्रेंडिंग न्यूज़

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News उत्तर प्रदेश प्रयागराजहर महीने ट्रेनों से टकरा रहे औसतन 300 जानवर

हर महीने ट्रेनों से टकरा रहे औसतन 300 जानवर

रफ्तार भरती ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं रेल संचालन में काफी मुश्किल पैदा कर रही हैं। कैटल रन ओवर के बढ़ते मामलों से रेलवे बोर्ड भी चिंतित...

रफ्तार भरती ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं रेल संचालन में काफी मुश्किल पैदा कर रही हैं। कैटल रन ओवर के बढ़ते मामलों से रेलवे बोर्ड भी चिंतित...
1/ 2रफ्तार भरती ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं रेल संचालन में काफी मुश्किल पैदा कर रही हैं। कैटल रन ओवर के बढ़ते मामलों से रेलवे बोर्ड भी चिंतित...
रफ्तार भरती ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं रेल संचालन में काफी मुश्किल पैदा कर रही हैं। कैटल रन ओवर के बढ़ते मामलों से रेलवे बोर्ड भी चिंतित...
2/ 2रफ्तार भरती ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं रेल संचालन में काफी मुश्किल पैदा कर रही हैं। कैटल रन ओवर के बढ़ते मामलों से रेलवे बोर्ड भी चिंतित...
हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराजFri, 04 Nov 2022 11:20 AM
ऐप पर पढ़ें

प्रयागराज। रफ्तार भरती ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं रेल संचालन में काफी मुश्किल पैदा कर रही हैं। कैटल रन ओवर के बढ़ते मामलों से रेलवे बोर्ड भी चिंतित है। बोर्ड से लगातार निर्देश जारी हो रहे हैं। अफसरों की हर बैठक में सबसे अहम मुद्​दा भी यही होता है। पर तमाम कोशिशों के बाद भी हर महीने केस बढ़ते ही जा रहे हैं। प्रयागराज मंडल के अति व्यस्त रेल रूट पर जानवरों के ट्रेनों से टकराने के हर महीने लगभग 300 मामले सामने आ रहे हैं। प्रयागराज डिवीजन में बीते छह माह (अप्रैल से सितंबर) में ट्रेनों से जानवरों के टकराने की 1990 घटनाएं हुई हैं। पिछले साल इसी अवधि में 1877 घटनाएं हुईं थीं। रेलवे यह आंकड़ा जनवरी से दिसंबर तक का तैयार करता है। पिछले साल जनवरी से दिसंबर तक कुल 3905 घटनाएं हुईं थीं जबकि इस साल जनवरी से अक्तूबर तक 10 माह में ही 3800 घटनाएं हो चुकी हैं। यह आंकड़े महज प्रयागराज मंडल के हैं, इसमें उत्तर मध्य रेलवे और देश के सभी रेल जोन के आंकड़ों को शामिल किया जाए तो संख्या और ज्यादा होगी। जानवरों की वजह से रेलवे के संरक्षा, सुरक्षा और समय पालन पर बड़ा असर पड़ रहा है। घटनाओं के बाद ट्रेन ट्रैक पर रोकी जाती है तो पीछे आने वाली दर्जनों ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ता है। खास तौर से रात के अंधेरे में रेलवे ट्रैक पर ट्रेन खड़ी होती हैं तो यात्रियों को कई तरह की परेशानी उठानी पड़ती है।

पिछले छह माह में कैटल रन ओवर केस

मई- 328

जून- 305

जुलाई- 314

अगस्त- 403

सितंबर- 379

अक्तूबर-301

सबसे ज्यादा जानवरों का खतरा

पनकी, बुलंदशहर, बिंदकी, मुगलसराय, प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, फिरोजाबाद, इटावा, टूंडला, अलीगढ़, चोला, मथुरा, पलवल, आगरा, उरई और झांसी।

दिल्ली-हावड़ा रूट पर होगी बाउंड्रीवाल, मथुरा-पलवल काम पूरा

दिल्ली-हावड़ा रूट पर सुरक्षित सफर के मद्​देनजर रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ बाउंड्री कराने की योजना अमल में लाई जा रही है। इस पर काम शुरू भी हो गया है। आगरा मंडल में ज्यादा घटनाओं को देखते हुए मथुरा से पलवल तक 80 किलोमीटर ट्रैक पर बाउंड्री लगभग पूरी हो चुकी है। मुगलसराय से गाजियाबाद तक बाउंड्री का कार्य स्वीकृत हो गया है। जल्द ही काम शुरू होगा। उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय के मुताबिक, आगरा मंडल में बाउंड्री का काम सबसे ज्यादा चल रहा है। इसके बाद प्रयागराज मंडल में शुरू होगा।

गांव जाकर जागरूक किया, बाड़ा बनवाया

उत्तर मध्य रेलवे के जीएम प्रमोद कुमार ने उन ट्रैक और क्षेत्रों की सूची तैयार कराई है जहां जानवरों के टकराने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। रेलवे अफसरों की एक टीम ऐसे गांवों में जाकर ग्रामीणों को जागरूक कर रही है। मवेशियों को पालने वालों से बाड़ा बनवाया गया है। रेलवे ट्रैक से मवेशियों को कैसे दूर रखा जाए इसके लिए ग्रामीणों के साथ बैठकें हुईं। आरपीएफ की एक टीम ग्रामीणों की काउंसिलिंग में भी लगाई गई है। झांसी में उरई के आसपास कई दिनों तक आरपीएफ ने अभियान भी चलाया।

विदेशों में हैं कई इंतजाम

चीन, जापान, जर्मनी, अमेरिका सरीखे देशों में हाईस्पीड ट्रेनें चलती हैं। यहां ट्रेनों की सुरक्षा के मद्​देनजर कई इंतजाम हैं। ट्रैक पर जानवर न आएं इसके लिए बाउंड्री, ग्रिल, तारों का जाल तो बिछाया ही जाता है। ट्रैक की ऊंचाई के बाद कुछ मीटर तक गड्ढे और ट्रैक के आसपास ढलान भी रखा जाता है ताकि जानवर तेजी से न दौड़ सकें। इसके अलावा कुछ देशों में रेलवे के अहम रूट के आसपास सटे गांवों में मवेशियों को खुला छोड़ने पर जुर्माना भी लगाया जाता है। रेल संचालन की वॉच टीमें ट्रैक पर होती हैं, जो जानवरों को पकड़ कर ले जाती हैं फिर जुर्माना भरने के बाद छोड़ा जाता है।

बोले अफसर

ट्रैक पर जरूरी एरिया में बाउंड्री सबसे आवश्यक है। इस पर काम चल रहा है। मानसून खत्म होने के बाद कई टीमें ट्रैक के आसपास पेड़, पौधे, घास आदि को हटाती हैं ताकि जानवर आकर्षित न हों। दीवार के साथ तारों का घेरा, जाल आदि से रोकथाम की जा रही है। ट्रैक से सटे गांवों में अभियान चलाकर बाड़ा बनवाया जा रहा है।

-मोहित चंद्रा, डीआरएम प्रयागराज मंडल

कैटल रन ओवर कम करने के लिए सबसे बड़ा उपाय ट्रैक के दोनों तरफ बाउंड्री बनाने वाला ही है। लोहे के जाल का घेरा भी बहुत सुरक्षित है। जब तक ट्रैक के आसपास के गांवों के लोग जागरूक नहीं हो जाते ट्रैक की सुरक्षा के लिए बाउंड्री, जाल और तारों की लेयर तैयार कराई जा रही है।

-हिमांशु शेखर, सीपीआरओ, एनसीआर

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।