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जनवरी के 31 में से 28 दिन जहरीली रही भागलपुर की हवा

- सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर द्वारा जनवरी 2024 में वायु प्रदूषण

जनवरी के 31 में से 28 दिन जहरीली रही भागलपुर की हवा
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरSun, 18 Feb 2024 01:45 PM
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- सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर द्वारा जनवरी 2024 में वायु प्रदूषण संबंधित रिपोर्ट से हुआ खुलासा
भागलपुर, वरीय संवाददाता

जनवरी माह में भागलपुर में हवाओं में प्रदूषण का स्तर बहुत ही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका था। आलम ये रहा कि जनवरी माह के 31 दिन में से 29 दिन ऐसा रहा, जब भागलपुर जिले में प्रदूषण का स्तर अत्यंत ही खतरनाक स्तर पर रहा। ये खुलासा, जनवरी 2024 में वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) को लेकर सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) द्वारा जारी रिपोर्ट में हुआ है। इन शहरों में प्रदूषण के स्तर का आंकलन जनवरी 2019 में घोषित राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया। इसका उद्देश्य देश के 131 शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करना है।

भागलपुर देश भर में रहा टॉप पर, दूसरे नंबर पर रहा दिल्ली

इस सर्वे में देश के कुल 101 शहर शामिल किए गये और इन शहरों में लगाए गये मानीटरिंग स्टेशन से नियमित रूप से वायु प्रदूषण का स्तर संबंधी रिपोर्ट का अध्ययन किया गया। इनमें से देश के 51 शहर ऐसे रहे, जहां पर जनवरी 2024 के 31 दिन में से कम से कम पांच दिन ऐसे रहे, जिस दिन वायु प्रदूषण का स्तर अत्यंत ही खराब रहा। आसान शब्दों में यूं कह लें, इस दिन अस्थमा, दमा, हृदय रोगियों का इस दिन घर से बाहर रहने पर आंखों में जलन व सांस फूलने की समस्या हुई। इस सूची में देश भर में पहले स्थान पर भागलपुर जिला रहा, जहां जनवरी 2024 के 31 दिन में से 29 दिन वायु प्रदूषण का स्तर अत्यंत ही खराब (वेरी पूअर रहा)। यानी इस दिन पीएम 2.5 का स्तर 200 या इससे अधिक रहा। वहीं दूसरे स्थान पर दिल्ली रहा, जहां पर 31 दिन में से 28 दिन वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ही खराब रहा। जबकि तीसरे स्थान पर सहरसा जिला (31 में से 21 दिन), चौथे स्थान पर हनुमानगढ़ (राजस्थान) (31 में से 14 दिन) व बर्नीहाट आसाम, ग्रेटर नोएडा, छपरा (31 में से 13-13 दिन) के साथ संयुक्त रूप से पांचवें स्थान पर रहे।

इस कारण बढ़ा प्रदूषण

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर भारत में हवा की कम गति और अपेक्षाकृत ठंडे उत्तर भारत में एक स्थिर वायुमंडल की दशाओं का विकास हुआ। जिसके कारण पृथ्वी की सतह के पास प्रदूषण करने वाले कण ज्यादा मात्रा में बने रहे। इस दौरान वायु का प्रसार न होने के कारण इन इलाकों में प्रदूषण बढ़ गया।

पीएम 2.5 का स्तर 5 से ज्यादा हानिकारक: डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीएम 2.5 के लिए पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (सालाना औसत) का मानक तय किया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इससे ज्यादा दूषित हवा में सांस लेने से बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इस लिहाज से देखें तो दुनिया के केवल 0.18 फीसदी हिस्से में वायु गुणवत्ता का स्तर इससे बेहतर है। वहीं भारत में दैनिक नेशनल एम्बियंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तय किया गया है। गौरतलब है कि प्रदूषण के बेहद महीन कणों को पीएम 2.5 कहा जाता है, जिनका व्यास आम तौर पर 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटा होता है।

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शहर के नाम मानीटरिंग दिन की संख्या मॉडरेट पूअर वेरी पूअर सीवियर

दिल्ली 31 दिन 27 दिन 04 दिन

भागलपुर 31 दिन 27 दिन 04 दिन

सहरसा 31 दिन 02 दिन 27 दिन 02 दिन

बर्नीहाट 26 दिन 01 दिन 24 दिन 01 दिन

ग्रेटर नोएडा 31 दिन 02 दिन 02 दिन 24 दिन 03 दिन

हनुमानगढ़ 31 दिन 04 दिन 24 दिन 03 दिन

नोएडा 31 दिन 01 दिन 03 दिन 25 दिन 02 दिन

बड्डी 31 दिन 02 दिन 06 दिन 20 दिन 03 तीन

श्रीगंगानगर 31 दिन 02 दिन 28 दिन 01 दिन

फरीदाबाद 31 दिन 04 दिन 25 दिन 02 दिन

(पीएम 2.5 अगर 61 से 90 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होने पर हवा का स्तर मॉडरेट, 91 से 120 हो तो पूअर, 121 से 250 हो तो वेरी पूअर और 250 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक होने पर सीवियर की श्रेणी में आता है।)

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