ट्रेंडिंग न्यूज़

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News उत्तर प्रदेश कन्नौजछिबरामऊ में बाहर ही बाहर निकल जाती हैं बसें, स्टैंड तक नहीं आतीं

छिबरामऊ में बाहर ही बाहर निकल जाती हैं बसें, स्टैंड तक नहीं आतीं

छिबरामऊ में बाहर ही बाहर निकल जाती हैं बसें, स्टैंड तक नहीं आतीं -छिबरामऊ बस स्टेशन को डिपो का मिला हुआ है दर्जा-वर्तमान में समय में छिबरामऊ डिपो में...

छिबरामऊ में बाहर ही बाहर निकल जाती हैं बसें, स्टैंड तक नहीं आतीं
हिन्दुस्तान टीम,कन्नौजSat, 12 Feb 2022 05:15 PM
ऐप पर पढ़ें

छिबरामऊ। संवाददाता

नगर का इकलौता रोडवेज बस स्टेशन गैर डिपो की बसों के आगमन की प्रतीक्षा करता रहता है, लेकिन बसें बाईपास से होकर गुजर जाती हैं। हालत यह है कि बसों के स्टेशन तक न आने से जहां यात्रियों को शहर के बाहर जीटी रोड बाईपास पर जाना पड़ता है। वहीं बस स्टेशन के आस-पड़ोस की दुकानों का बिजनेस पूरी तरह चौपट होता जा रहा है।

यहां के लोगों की मांग पर तत्कालीन राज्यमंत्री अर्चना पांडेय के प्रयासों से रोडवेज बस स्टेशन का जीर्णोद्धार तो करा दिया गया। जीर्णशीर्ण बिल्डिंग के स्थान पर नई शानदार बिल्डिंग मिल गई, लेकिन बसें फिर भी स्टेशन तक नहीं आती। लोगों को कहीं जाने के लिए शहर के पूर्वी या पश्चिमी बाईपास पर बस के लिए जाना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या रात के समय होती है। रात में बाहर से आने वाले यात्रियों को गैर डिपो की बसें बाईपास पर उतार कर चली जाती हैं। ऐसे में उन्हें वहां न तो कोई साधन आने-जाने को मिलता है। यदि किसी सवारी के पास सामान हो, या छोटे-छोटे बच्चों को आने-जाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रात के अंधेरे में महिला यात्रियों और व्यापारियों को खतरे का भी अंदेशा बना रहता है। शहर के लोगों को यही आशा है कि विकास के साथ-साथ चुनाव में बस स्टेशन तक रोडवेज की बसों के ठहराव की भी व्यवस्था की जाए। ताकि लोगों को इसके लिए कुछ सहूलियत मिल सके।

बोले दुकानदार, बसें न आने से व्यापार हुआ चौपट

छिबरामऊ। रोडवेज बस स्टेशन के ठीक सामने मिठाई की दुकान किए पप्पू हलवाई बताते हैं कि एक समय वह था जब स्टेशन तक बसें आती थी, तब उनकी दुकानदारी भी बहुत अच्छी होती थी, अब पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहता है।

मिठाई विक्रेता भरतचंद्र उर्फ गुड्डू बड़े ही दुखी मन से कहते हैं कि रोडवेज बसें अंदर न आने से उनकी दुकानदारी पूरी तरह ठप हो चुकी है। हालत यह है कि उन्हें अपना व्यवसाय तक बदलना पड़ रहा है। रोडवेज बस स्टेशन के सामने चाट का ठेला लगाने वाले प्रेमचंद्र का कहना है कि यदि बस स्टेशन तक बसें आने लगे, तो उनकी भी दुकानदारी ठीकठाक होने लगे। पहले जब बसें स्टेशन तक आती थी, तो उसका काफी लाभ मिलता था। अब तो परिवार पालना मुश्किल है। मिठाई दुकानदार वीरेंद्र कुमार का कहना है कि रोडवेज की बसें स्टेश तक नहीं आती, जिसका सीधा प्रभाव दुकानदारी पर पड़ता है। बसें अंदर आने लगे, तो यात्रियों के चलते दुकानदारी बढ़े। अब हालत यह है कि कारीगरों का खर्चा भी निकलना मुश्किल पड़ता है।

रोडवेज की डिपो में हैं 26 बसें

इस समय छिबरामऊ डिपो में कुल 26 बसों का बेड़ा है। यहां 40 संविदा और 10 नियमित चालक हैं। इसी तरह 37 संविदा और 11 नियमित परिचालक हैं। ऑफिस में 5 लिपिक और दो मजदूर कार्यरत हैं। पहले यहां 20 बसें थीं, प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान वर्ष 2019 में छह नई बसें डिपो को मिलीं थीं।

इन रूटों पर दौड़ रहीं हैं 26 बसें

छिबरामऊ डिपो के प्रभारी देवेंद्र सिंह यादव ने बताया कि डिपो में 26 बसें हैं, जिसमें 9 बसें छिबरामऊ से दिल्ली, एक बस सुखसेनपुर आगरा रोड पर, आठ बसें कन्नौज-आगरा, दो बसें कन्नौज-मैनपुरी, चार बसें कानपुर-आगरा रुट पर नियमित चल रही हैं। इनमें दो बसें कंडेक्टरों की कमी के चलते खड़ी रहती हैं। इन्हें जब कहीं कोई बस खराब हो जाती है, तो रिप्लेंसमेंट के तौर पर भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में सात बसें चुनाव ड्यूटी में गई हुई हैं।

¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।