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बिहार में राजनीतिक हलचल तेज, JDU और BJP गठबंधन टूटने की अटकलें; आखिर क्यों नाराज हैं नीतीश कुमार?

जदयू चीफ राज्यों और केंद्र में एकसाथ चुनाव कराने के विचार के भी खिलाफ हैं। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने का सुझाव पीएम मोदी ने दिया था, जिसका विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया।

बिहार में राजनीतिक हलचल तेज, JDU और BJP गठबंधन टूटने की अटकलें; आखिर क्यों नाराज हैं नीतीश कुमार?
Niteesh Kumarलाइव हिन्दुस्तान,पटनाMon, 08 Aug 2022 08:48 AM

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बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सभी विधायकों और सांसदों की मंगलवार को बैठक बुलाई है। राज्य की जदयू और भाजपा गठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। चर्चा यहां तक पहुंच गई है कि नीतीश की पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म कर सकती है। चलिए समझते हैं कि इन अटकलों का आधार क्या है और नीतीश कुमार किन बातों को लेकर बीजेपी से गुस्सा हैं।

1. सीएम नीतीश चाहते हैं कि विजय कुमार सिन्हा को बिहार विधानसभा सभा अध्यक्ष पद से हटाया जाए। सिन्हा को लेकर नीतीश कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं। सीएम का आरोप है कि उनकी सरकार के खिलाफ सवाल उठाकर स्पीकर संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं।  

2. मुख्यमंत्री नीतीश इस बात को लेकर भी नाराज चल रहे हैं कि JD(U) के केवल एक नेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह ऑफर की गई। बिहार में कैबिनेट विस्तार के दौरान नीतीश ने अपनी पार्टी के 8 नेताओं को मंत्रीपद दिया, जबकि महज एक सीट बीजेपी के लिए खाली रखी गई। यह साफ तौर पर जदयू प्रमुख की नाराजगी को दिखाता है।  

3. जदयू चीफ राज्यों और केंद्र में एकसाथ चुनाव कराने के विचार के भी खिलाफ हैं। लोकसभा और अलग-अलग विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने का सुझाव पीएम मोदी ने दिया था, जिसका विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर जदयू के विचार विपक्ष के साथ पूरी तरह से मेल खाते हैं। 

4. सूत्रों का कहना है कि सीएम नीतीश अपने कैबिनेट में बीजेपी के मंत्रियों का चुनाव करने में ज्यादा अधिकार चाहते हैं। जबकि ऐसा माना जाता है कि गृह मंत्री अमित शाह अपने करीबियों को बिहार मंत्रिमंडल के लिए चुनते हैं। मिसाल के तौर पर सुशील मोदी का चेहरा सामने है। सुशील कई सालों तक राज्य के उपमुख्यमंत्री बने रहे, जबकि आलाकमान ने उन्हें राज्य से बाहर की जिम्मेदारियां सौंप दीं। 

5. नीतीश कुमार भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर सहयोगियों को केंद्रीय मंत्रियों के रूप में सांकेतिक प्रतिनिधित्व की पेशकश पर भी नाराज हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्री बनने के लिए कुमार को दरकिनार करते हुए भाजपा नेतृत्व से सीधे बात की थी। इस पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की क्या जरूरत है? मुख्यमंत्री ने 2019 में फैसला किया था कि हम केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे।'

6. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई कारण अब तक नहीं बताया गया। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद की शारीरिक कमजोरी का हवाला देते हुए नीतीश बैठक में शामिल नहीं हुए। सीएम 25 जुलाई को कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। हालांकि, संक्रमण से उबरने के बाद वह कुछ कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं।

7. हालांकि, जदयू ने भाजपा के साथ अनबन की अटकलों को खारिज किया है और गठबंधन में सब कुछ ठीक होने का दावा किया है। राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने इसके लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में जदयू के समर्थन का हवाला दिया। उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का इससे मजबूत प्रदर्शन नहीं हो सकता।'