लावारिस समझ उतारी अटैची का मालिक थाने पहुंचा
ट्रेन में लावारिस अटैची की सूचना पर डिप्टी एसएस ने आरपीएफ की मद्द से अटैची को कब्जे में ले लिया। इधर अटैची की खोजबीन कर रहे यात्री को जब इसकी जानकारी हुई कि उसकी अटैची को लावारिस मानकर आरपीएफ ने...
ट्रेन में लावारिस अटैची की सूचना पर डिप्टी एसएस ने आरपीएफ की मद्द से अटैची को कब्जे में ले लिया। इधर अटैची की खोजबीन कर रहे यात्री को जब इसकी जानकारी हुई कि उसकी अटैची को लावारिस मानकर आरपीएफ ने उतार लिया तो वह भागा-भागा थाने पहुंचा। यात्री ने बताया कि वह झांसी स्टेशन से पहले दूसरे कोच में साथी से मिलने गया था। लौटकर जब अटैची की खोजबीन की तो बताया कि लावारिस अटैची की सूचना पर आरपीएफ ने अटैची जब्त कर ली है। आरपीएफ ने जांच पड़ताल के बाद अटैची यात्री के सुपुर्द कर दी है।
पुरी से चलकर हरिद्वार की ओर जा रही उत्कल एक्सप्रेस के आरक्षित कोच नम्बर एस-7 की सीट नम्बर 28 के नीचे एक अटैची काफी देर से लावारिस हालत में रखी थी। कोच में सवार यात्रियों ने संदेह व्यक्त करते हुये इसकी जानकारी कंट्रोल रूम में दी। कंट्रोल की सूचना पर डिप्टी एसएस ने आरपीएफ के प्रधान आरक्षी जगदीश प्रसाद के साथ कोच की जांच कर लावारिस अटैची को जब्त कर लिया। अटैची में 5900 रुपये व कपड़े के अलावा कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
आरपीएफ अटैची लेकर आरपीएफ थाने पहुंची, जहां कुछ देर बाद कमलेश पुत्र गजाधर प्रसाद निवासी शास्त्री नगर जिला एटा ने पहुंचकर दावा किया कि उक्त अटैची लावारिस नहीं है, बल्कि अटैची उसकी है। यात्री ने बताया कि झांसी स्टेशन से पहले वह दूसरे कोच में अपने साथी से मिलने गया था। इधर यात्रियों ने समझा कि अटैची की लावारिस है। जांच पड़ताल के बाद आरपीएफ ने अटैची यात्री के सुपुर्द कर दी है। यात्री बोंडामोंडा से आगरा जा रहा था।