मनाली-लेह रेल कॉरिडोर से मजबूत होगी राष्ट्रीय सुरक्षा
भारतीय रेल की अति महत्वाकांक्षी बिलासपुर-मनाली-लेह रेल कॉरिडोर परियोजना के अध्ययन का काम पूरा हो गया है। चीन-भारत के निरंतर तनाव के मद्देनजर यह...
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- रेलवे के शीर्ष अधिकारियों को सौंपा गया अध्ययन रिपोर्ट
- हर मौसम में वैकल्पिक रेल नेटवर्क मुहैया कराएगा यह कॉरिडोर
अरविंद सिंह
नई दिल्ली। भारतीय रेल की अति महत्वाकांक्षी बिलासपुर-मनाली-लेह रेल कॉरिडोर परियोजना के अध्ययन का काम पूरा हो गया है। चीन-भारत के निरंतर तनाव के मद्देनजर यह राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेगा। इसके साथ ही हर मौसम में चीन सीमा तक पहुंच आसान होगी।
वर्तमान में लेह-लद्दाख सीमा तक पहुचंने के लिए श्रीनगर-लद्दाख सड़क मार्ग है। सर्दियों में बर्फबारी के दौरान सड़क संपर्क बंद हो जाता है। मनाली-लेह कॉरिडोर बॉर्डर तक हर मौसम में वैकल्पिक रेल नेटवर्क उपलब्ध कराएगा। सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण यह रेल कॉरिडोर आपातस्थिति में सैन्य बलों के साथ ही रसद, हथियार आदि कम समय में बॉर्डर तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा करेगा। वहीं, दूसरी ओर हिमाचाल, लेह-लद्दाख में सामाजिक, आर्थिक और पर्यटन के नए केंद्र स्थापित होंगे। इस कॉरिडोर के बन जाने से देश की राजधानी और चीन बॉर्डर स्थित लेह की दूरी 20 घंटे रह जाएगी। सड़क परिवहन से अभी यह दूरी 40 घंटे से अधिक समय में पूरी होती है। परियोजना की कुल लागत 9,92,01,40,46,867 रुपये होगी। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस नई ब्रॉडगेज रेल लाइन के अंतिम अध्ययन रिपोर्ट को शीर्ष अधिकारियों को सौंप दिया गया है।
भारत का सबसे ऊंचा रेल कॉरिडोर
4700 मीटर समुद्र तल से ऊंचाई
476 किलोमीटर होगी इसकी लंबाई
55 प्रतिशत के लगभग कॉरिडोर का हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा
75 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी यात्री ट्रेनें
28 स्टेशन होंगे बिलासपुर से लेह तक इस मार्ग में कुल
14 स्टेशन हिमाचल प्रदेश और 14 स्टेशन केंद्रशासित शासित प्रदेश लद्दाख में होंगे
13.5 किलोमीटर की होगी सबसे लंबी सुरंग
67 सुरंग कुल प्रस्तावित हैं इस मार्ग में
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ये रेलवे स्टेशन होंगे
हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के प्रमुख शहर जुड़गें। बेरी (ऊंचाई 555 मीटर) से होते हुए सुंदरनगर, मंडी, मनाली, सिसू, दारचा, सरचू, उपशी, खारू एवं लेह आदि स्टेशन होंगे। इसके साथ ही इस मार्ग पर 100 वाया डक्ट पुल बनेंगे जिनकी कुल लंबाई 27 किलोमीटर होगी, जो कुल लंबाई का 5.5 प्रतिशत होगा।
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ये दर्रे कॉरिडोर का हिस्सा होंगे
विश्व के सबसे ऊंचे दर्रे रोहतांग दर्रा, बारालचा दर्रा, लाचुंग दर्रा, टांगलांग दर्रा कॉरिडोर का हिस्सा होगी। कॉरिडोर बनने के बाद शिवालिक, ग्रेट हिमालय, जस्कांर पर्वतमाला शृंखला से ट्रेन के गुजरने के दौरान रेल यात्री सफर के दौरान खूबसूरत प्राकृतिक नजारे का लुफ्त उठा सकेंगे।
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