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10वीं बोर्ड परीक्षा में 99.7 प्रतिशत लाने वाला चपरासी पढ़ना लिखना नहीं जानता, जांच के आदेश

10वीं बोर्ड परीक्षा में 99.7 प्रतिशत अंक लाने वाला एक अनपढ़ शख्स जांच के दायरे में आ गया है।  23 साल के प्रभु लक्ष्मीकांत लोकरे ने मार्क्स के दम पर कर्नाटक की अदालत में चपरासी की नौकरी हासिल की थी।

10वीं बोर्ड परीक्षा में 99.7 प्रतिशत लाने वाला चपरासी पढ़ना लिखना नहीं जानता, जांच के आदेश
Pankaj Vijayलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीFri, 24 May 2024 02:18 PM
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10वीं बोर्ड परीक्षा में 99.7 प्रतिशत अंक लाने वाला एक अनपढ़ शख्स जांच के दायरे में आ गया है।  23 साल के प्रभु लक्ष्मीकांत लोकरे ने हाल ही में अपने शानदार मार्क्स के दम पर कर्नाटक के कोप्पल जिले की स्थानीय अदालत में चपरासी की नौकरी हासिल की थी। लोकरे का नाम 22 अप्रैल 2024 को जारी हुई चपरासी भर्ती परीक्षा की फाइनल मेरिट लिस्ट में आया था। चपरासी की नौकरी पाने के बाद उनकी पोस्टिंग यादगीर में जिला और सत्र न्यायालय में हो गई। इससे पहले लोकरे कोप्पल कोर्ट में सफाईकर्मी के रूप में काम किया करते थे। लोकरे की इस उपलब्धि ने कोर्ट के जज के मन में संदेह पैदा किया क्योंकि उन्हें कन्नड़ भाषा में लिखना और पढ़ना तक नहीं आता। जज इस बात को जानते थे। जज की निजी शिकायत के बाद मामले की जांच शुरू हो गई है। कोर्ट ने प्रभु के शैक्षणिक दस्तावेजों की वेरिफिकेशन करने के आदेश दिए हैं। 

 26 अप्रैल प्रभु के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई। इसके मुताबिक प्रभु ने 7वीं कक्षा के बाद सीधा 10वीं की परीक्षा में हिस्सा लिया और 625 में से 623 मार्क्स हासिल किए।  लेकिन अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद वह कन्नड़, अंग्रेजी या हिंदी में पढ़ या लिख ​​​​नहीं सकते, जिससे उनकी योग्यता पर गंभीर संदेह पैदा होता है।

जज ने इस बात की जांच की भी मांग की है कि क्या अन्य उम्मीदवारों ने भी इसी तरह से कथित फर्जीवाड़ा करके सरकारी नौकरियां हासिल की हैं। जज ने पुलिस से यह भी मांग की है कि लोकारे की हैंड राइटिंग की जांच उसकी 10वीं कक्षा की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं से की जाए। जज ने कहा कि फर्जी शैक्षणिक उपलब्धियां होनहार छात्रों को नुकसान पहुंचाती हैं। 

अपने बचाव में लोकारे ने दावा किया कि वह 2017-18 में कक्षा 10वीं की परीक्षा में एक प्राइवेट उम्मीदवार के तौर पर शामिल हुए थे। यह परीक्षा दिल्ली शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित की गई थी। उन्होंने दावा किया कि परीक्षा कर्नाटक के बगलाकोटे जिले के एक संस्थान में हुई थी।

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