...इस ट्रेन की आवाज से लोग मिलाते थे अपनी घड़ी
मुंबई और अमृतसर के बीच चलने वाली गोल्डन टेंपल ट्रेन वर्ष 1928 में शुरू हुई थी और यह कभी देश की सबसे लंबी और तेज गति से चलने वाली ट्रेन हुआ करती थी। उस समय यह पाकिस्तान के पेशावर को मुंबई से जोड़ती...
मुंबई और अमृतसर के बीच चलने वाली गोल्डन टेंपल ट्रेन वर्ष 1928 में शुरू हुई थी और यह कभी देश की सबसे लंबी और तेज गति से चलने वाली ट्रेन हुआ करती थी। उस समय यह पाकिस्तान के पेशावर को मुंबई से जोड़ती थी। अविभाजित हिंदुस्तान से चलने वाली इस ट्रेन का नाम पहले फ्रंटियर मेल था।
यह कोटा में इतनी मशहूर थी कि लोग इसकी आवाज सुनकर ही अपनी घड़ी का टाइम सेट करते थे। तब इस ट्रेन में पेशावर से चमन के अंगूर आते थे। यह अंगूर इतने रसीले और मीठे होते थे कि दिख जाएं तो लोग मांगने में भी संकोच नहीं करते थे।
उस समय इस ट्रेन में फर्स्ट क्लास में सफर करने वाले का अलग ही रुतबा होता था। फर्स्ट क्लास का इतना सम्मान था कि ट्रेन के रुकने पर हैड टीटी आकर डिब्बे में सलाम करते थे। इस रेल के कैंटीन में इतना स्वादिष्ट खाना बनता था कि शहर से लोग डबल रोटी लेने ट्रेन तक जाया करते थे।
बंटवारे के बाद यह ट्रेन मुंबई से अमृतसर के बीच चलने लगी। नाम बदलने के बावजूद आज भी लोग इसके पुराने नाम को भुला नहीं पाए और इसको फ्रंटियर मेल के नाम से बुलाते हैं। इस ट्रेन ने कई मुश्किलें भी झेली।
2 मई 1974 में जबरदस्त रेलवे हड़ताल के दौरान कोटा में डिब्बों के बीच के ज्वॉइंट खोलकर इस ट्रेन के तीन टुकड़े कर दिए गए। उस समय स्टेशन पर लाठीचार्ज भी हुआ था। ड्राइवर इस ट्रेन को किसी प्रकार समझबूझ का परिचय देते हुए छुड़ाने और गंतव्य तक लेकर जाने में कामयाब हुए।