Ganga Dussehra : गंगा दशहरा कब है? नोट कर लें सही डेट, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व, मंत्र और आरती
Ganga Dussehra 2024 Date : गंगा दशहरा 16 जून को है। इस दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दौरान पूजा-पाठ व स्नान-दान के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।
Ganga Dussehra 2024 : गंगा दशहरा 16 जून को है। इस दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दौरान पूजा-पाठ व स्नान-दान के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। गंगा दशहरा के दिन पवित्र स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:03 से सुबह 4:45 के बीच रहेगा। गंगा दशहरा के दिन गंगा मैया की पूजा की जाती है। गंगा नदी में स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी छुटकारा मिलता है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से मां गंगा की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। मां गंगा की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं गंगा दशहरा पूजा- विधि, महत्व, मंत्र, आरती और शुभ मुहूर्त...
गंगा दशहरा मुहूर्त
- दशमी तिथि प्रारम्भ - जून 16, 2024 को 02:32 ए एम बजे
- दशमी तिथि समाप्त - जून 17, 2024 को 04:43 ए एम बजे
- हस्त नक्षत्र प्रारम्भ - जून 15, 2024 को 08:14 ए एम बजे
- हस्त नक्षत्र समाप्त - जून 16, 2024 को 11:13 ए एम बजे
- व्यतीपात योग प्रारम्भ - जून 14, 2024 को 07:08 पी एम बजे
- व्यतीपात योग समाप्त - जून 15, 2024 को 08:11 पी एम बजे
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गंगा दशहरा पूजा- विधि
- गंगा स्नान करें। जो लोग गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वो घर में रहकर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर मां गंगा का ध्यान कर स्नान करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इस दिन मां गंगा का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस दिन दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- घर में रहकर ही मां गंगा की आरती करें।
गंगा दशहरा का महत्व
- इस पावन दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
- मां गंगा की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
मां गंगा आरती
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ॐ जय गंगे माता...
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता...
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता...
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
ॐ जय गंगे माता...
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता...
ॐ जय गंगे माता...।।
मां गंगा मंत्र
- ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः'
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