Mahabharat 10 may morning episode 87 written updates: धृष्टद्युम्न ने धड़ से अलग किया गुरू द्रोणाचार्य का मस्तक, भीष्म पितामह के पास पहुंचे पांडव
देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल 'महाभारत' का प्रसारण हो रहा है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि कौरवों की सेना घटोत्कच पर तीर और...
देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल 'महाभारत' का प्रसारण हो रहा है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि कौरवों की सेना घटोत्कच पर तीर और भालों से हमला कर रही है। दूसरी तरफ घटोत्कच अपने मुंह से आग निकालकर उन्हें मार रहे हैं। कर्ण और दुर्योधन, घटोत्कच पर बाणों से हमला कर रहे हैं। इस दौरान दुर्योधन कहते हैं कि रक्त में डूबा तुम्हें तुम्हारा मित्र कैसा लग रहा है। क्या तुम घटोत्कच का वध नहीं करोगे। यह सुनकर कर्ण दिव्य हथियार से घटोत्कच पर हमला करते हैं जिसमें वह वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। अब देखें आगे-
12.05PM: धृतराष्ट्र, संजय से कहते हैं कि दुर्योधन ने गलती की है। उसे उस शस्त्र को घटोत्कच पर नहीं बल्कि अर्जुन पर इस्तेमाल करना चाहिए था जिससे उसकी जीत निश्चित होती।
12.10PM: ब्रह्मा ने द्रोणाचार्य को ब्रहमास्त्र का इस्तेमाल करने से मना किया, लेकिन द्रोणाचार्य ने उनकी बात नहीं मानी।
12.20PM: द्रोणाचार्य ने विराट नरेश और द्रुपद का वध कर दिया। धृतराष्ट्र दोनों के वध से काफी खुश होते हैं।
12.30PM: भीम, द्रोणाचार्य के पास जाते हैं और कहते हैं मैंने अश्वत्थामा का वध कर दिया गुरू देव, लेकिन द्रोणाचार्य सच जानने के लिए अपना रथ लेकर युधिष्ठिर के पास जाते हैं।
12.35PM: द्रोणाचार्य , युधिष्ठिर से पूछते हैं कि क्या मेरे बेटे अश्वत्थामा का वध हो गया है तो युधिष्ठिर हां कहते हैं। वहीं युधिष्ठिर का झूठ सुनकर धृतराष्ट्र चौंक जाते हैं। वह कहते हैं, कृष्ण ने मेरे बच्चों को झूठ बोलना भी सिखा दिया।
12.40PM: बेटे के वध की खबर सुनकर द्रोणाचार्य अपने शस्त्र फेंक देते हैं। वह कहते हैं, 'मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरा बेटा अश्वत्थामा तुम सबसे पराजित हो गया, लेकिन युधिष्ठिर कभी झूठ नहीं बोलता इसलिए मैं अपने शस्त्रों को त्याग रहा हूं।'
12.50PM: इसके बाद द्रोणाचार्य अपने रथ से उतरकर बैठ जाते हैं। जिसके बाद द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न मौके का फायदा उठाकर अपनी तलवार से उनका मस्तक, धड़ से अलग कर देते हैं।
12.55PM: युधिष्ठिर, भीष्म पितामह से कहते हैं कि द्रोणाचार्य का वध मेरे एक झूठ से हुआ है जिससे पितामह काफी दुखी हो जाते हैं।
1.00PM: भीष्म पितामह यह सुनकर क्रोधित हो जाते हैं और साथ ही उन्हें यकीन ही नहीं होता कि युधिष्ठिर भी झूठ बोल सकते हैं, लेकिन फिर कृष्ण की बात सुनकर वह उन्हें माफ कर देते हैं।