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Russia-Ukraine crisis: शेयर बाजार में कोहराम, सेंसेक्स 2800 अंक तक टूटा, निफ्टी भी धड़ाम

रूस-यूक्रेन में युद्ध के बीच भारतीय शेयर बाजार साल के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। गुरुवार को रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के ऐलान से भारत का शेयर बाजार धड़ाम हो गया। कारोबार के अंत में...

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 24 Feb 2022 04:52 PM
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रूस-यूक्रेन में युद्ध के बीच भारतीय शेयर बाजार साल के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। गुरुवार को रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के ऐलान से भारत का शेयर बाजार धड़ाम हो गया। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 2702 अंक या 4.72 फीसदी लुढ़क कर 54,530 अंक के स्तर पर बंद हुआ।

इसी तरह, निफ्टी 815.30 अंक या 4.78 फीसदी टूटकर 16,248 अंक के स्तर पर ठहरा। ये साल की सबसे बुरी क्लोजिंग है। इस गिरावट की वजह से सिर्फ एक दिन के कारोबार में निवेशकों को 13 लाख 37 हजार करोड़ रुपए की चपत लग गई है।

बीएसई इंडेक्स का रेड अलर्ट: गुरुवार के कारोबार में बीएसई इंडेक्स के टॉप 30 स्टॉक रेड जोन में हैं। सबसे बड़ी गिरावट का तमगा बैंकिंग और आईटी स्टॉक पर लगा है। इंडसइंड बैंक का स्टॉक करीब 8 फीसदी टूट चुका है। एशियन पेंट, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, विप्रो, बजाज फाइनेंस, एचसीएल, बजाज फिनसर्व, मारुति के स्टॉक में भी 4 फीसदी से ज्यादा गिरावट रही। बाजार में बिकवाली का माहौल ऐसा है कि बीएसई इंडेक्स में सबसे कम गिरावट भी 1 फीसदी की रही।

बता दें डाऊ जोंस बुधवार को 464 अंक गिरकर 33131के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, नैस्डैक में 2.57 फीसद यानी 344 अंकों की गिरवट रही। इस गिरावट की वजह से नैस्डेक 13037 के स्तर पर बंद हुआ। यही नहीं एसएंडपी में भी 79 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

बुधवार का हाल 

घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट बुधवार को लगातार छठे कारोबारी सत्र में भी जारी रही और बीएसई सेंसेक्स 68.62 अंक नीचे आ गया। यूक्रेन संकट को लेकर निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है।

तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 68.62 अंक की गिरावट के साथ 57,232.06 अंक पर बंद हुआ। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 28.95 अंक टूटकर 17,063.25 अंक पर आ गया। कारोबार के दौरान अच्छी बात यह रही कि दोनों सूचकांक ज्यादातर समय एशिया के अन्य बाजारों की तरह सकारात्मक दायरे में रहे। क्योंकि निवेशकों को यह उम्मीद थी कि यूक्रेन सीमा के पास रूसी सेना की गतिविधियों के बाद रूस पर पश्चिमी देशों की पाबंदियों से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का रुख नरम पड़ेगा और युद्ध की आशंका दूर होगी। 

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