सावधान ब्याज-मात्र होम लोन लेने पर आपको चुकाना होगी कितनी ज्यादा रकम और टैक्स पर भी पड़ेगा असर, क्या है ब्याज-मात्र होम लोन?
हाल ही में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (Standard Chartered Bank) ने आवासीय संपत्तियों की खरीद के लिए अपने मौजूदा और नए होम लोन ग्राहकों के लिए ब्याज-मात्र होम लोन सुविधा शुरू की। ब्याज-मात्र होम लोन एक...
हाल ही में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (Standard Chartered Bank) ने आवासीय संपत्तियों की खरीद के लिए अपने मौजूदा और नए होम लोन ग्राहकों के लिए ब्याज-मात्र होम लोन सुविधा शुरू की। ब्याज-मात्र होम लोन एक ऐसी सुविधा है जिसमें उधारकर्ता सीमित अवधि के लिए बकाया मूलधन पर केवल अर्जित ब्याज का ही भुगतान करता है। उस अवधि को 'केवल-ब्याज अवधि' के रूप में जाना जाता है। इस दौरान कोई मूलधन नहीं काटा जाएगा।
कितनी लोन राशि तक उठा सकते हैं सुविधा
35 लाख रुपए से 3.5 करोड़ रुपए के होम लोन टिकट आकार वाले स्टैंडर्ड चार्टर्ड के उधारकर्ता 1-3 साल की शुरुआती अवधि के लिए समान मासिक किश्तों (ईएमआई) के माध्यम से केवल ब्याज राशि का भुगतान करने का रास्ता चुन सकते हैं। इस ब्याज-मात्र अवधि के समाप्त होने के बाद, होम लोन सुविधा को एक सामान्य लोन अकाउंट की तरह माना जाएगा जहां ईएमआई में लोन की परिपक्वता तक मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। यह सुविधा उन उधारकर्ताओं को भी दी जा रही है जो अपने मौजूदा होम लोन को किसी अन्य ऋणदाता से स्टैंडर्ड चार्टर्ड में स्थानांतरित करना चाहते हैं। एसबीआई अपने एसबीआई फ्लेक्सीपे होम लोन उत्पाद के हिस्से के रूप में भी यह सुविधा प्रदान करता है।
निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए हैं आकर्षक
उद्योग के सूत्रों के अनुसार, कई अन्य बैंक कर्जदार के साथ बातचीत और लोन की शर्तों के आधार पर केवल ब्याज वाले होम लोन की पेशकश कर सकते हैं। कभी-कभी, आवास परियोजनाओं के डेवलपर्स या निर्माता भी घर खरीदारों को एक निश्चित अवधि के लिए ब्याज-केवल ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों के साथ गठजोड़ कर सकते हैं। MyMoneyMantra.com के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर राज खोसला के मुताबिक, होम लोन पर केवल ब्याज की पेशकश आम तौर पर निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए की जाती है और यह एक आकर्षक प्रस्ताव बना रहता है क्योंकि मूलधन का भुगतान तभी शुरू होता है जब कोई संपत्ति कब्जे के लिए तैयार होती है।
ध्यान देने योग्य बातें
इस विकल्प को चुनने वाले उधारकर्ता यह नोट कर सकते हैं कि केवल ब्याज अवधि में नकदी प्रवाह का बोझ कम हो जाता है, इस मामले में पूरे कार्यकाल के दौरान ऋणदाता को कुल चुकौती राशि अधिक होगी। आइए 30 साल की अवधि के लिए 8% की निश्चित ब्याज दर पर 50 लाख रुपए के नियमित होम लोन का उदाहरण लें। इस मामले में, मासिक ईएमआई राशि 36,688 रुपए आती है और कुल देय राशि - मूलधन और ब्याज - पूरे कार्यकाल में 1.32 करोड़ रुपए होगी।
यदि आप उपरोक्त उदाहरण में केवल 3 वर्ष (36 महीने) की ब्याज-अवधि का विकल्प चुनते हैं, तो पहले 3 वर्षों में मासिक आउट-गो 33,333 रुपए होगा। उसके बाद, मूलधन और ब्याज सहित सामान्य ईएमआई 37,713 रुपए की शुरू होती है। इस मामले में, होम लोन की अवधि के दौरान कुल नकद व्यय 1.34 करोड़ रुपए होगा। इस मामले में अतिरिक्त देनदारी लगभग 2 लाख रुपए है। यह एक साधारण तुलना है। यदि होम लोन खरीदार द्वारा फ्लोटिंग ब्याज दर को चुना जाता है तो राशि भिन्न हो सकती है।
इस दौरान नहीं मिलेगा टैक्स फायदा
खोसला का कहना है, केवल ब्याज अवधि के दौरान ईएमआई की अंतर राशि का निवेश करके इस ऑफर का लाभ उठाया जा सकता है। उनके मुताबिक, यदि निवेश से मिलने वाला रिटर्न होम लोन की ब्याज दर से अधिक है, तो लोन का भुगतान न करें। कराधान के संदर्भ में, चूंकि केवल-ब्याज अवधि के दौरान कोई मूलधन चुकौती नहीं है, ईएमआई के मूल भाग के लिए आयकर (आईटी) अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक की कटौती ऐसी अवधि में उपलब्ध नहीं होगी।
आईटी अधिनियम की धारा 24 के तहत ब्याज राशि (स्वयं के कब्जे वाली संपत्ति के मामले में 2 लाख रुपए तक) को कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है। यदि निर्माणाधीन संपत्ति के लिए ब्याज-मात्र ईएमआई का भुगतान किया जाता है, तो निर्माण पूरा होने के बाद ब्याज राशि को पांच समान किश्तों में कटौती के रूप में अनुमति दी जाती है।
क्या है मिंट की राय
आपको इस विकल्प को तभी चुनना चाहिए जब आपकी वित्तीय जरूरतें इसकी मांग करें। अधिकांश होम लोन फ्लोटिंग ब्याज दरों पर आधारित होते हैं, जो बाजार में ब्याज दरों में बदलाव के साथ बदलते हैं। चूंकि ब्याज दरें अब कम हैं, इसलिए ऋण चुकाने और बकाया देनदारी को कम करना बेहतर होगा, बशर्ते उधारकर्ता मूल राशि सहित ईएमआई चुका सकता है।
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