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बंगाल में पिक्चर अभी बाकी है! बाबुल के बाद भाजपा को अभी और हो सकता है नुकसान, समझें सियासी समीकरण

हाल में केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाए गए लोकसभा सांसद बाबुल सुप्रियो ने भाजपा छोड़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस सरकार बनने के बाद भाजपा के...

बंगाल में पिक्चर अभी बाकी है! बाबुल के बाद भाजपा को अभी और हो सकता है नुकसान, समझें सियासी समीकरण
हिन्दुस्तान टीम,कोलकाताSun, 19 Sep 2021 06:43 AM
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हाल में केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाए गए लोकसभा सांसद बाबुल सुप्रियो ने भाजपा छोड़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस सरकार बनने के बाद भाजपा के कई नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इनमें अधिकांश वह नेता हैं, जो तृणमूल कांग्रेस छोड़कर सत्ता बदलाव की संभावना देख कुछ समय पहले ही भाजपा में आए थे। भाजपा को आशंका है कि पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालातों में उसके कुछ और नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।

टीएमसी लगातार दबाव बढ़ा रही
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नतीजे आने के साथ ही भाजपा नेताओं पर तृणमूल कांग्रेस की तरफ से लगातार दबाव बढ़ाया जा रहा है। इसकी शिकायतें लेकर राज्य के तमाम नेता लगातार दिल्ली आ रहे हैं। नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने तो गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर इस बारे में कई कागजात भी सौंपे थे। राज्य के कई भाजपा विधायक पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से मिलकर तृणमूल कांग्रेस द्वारा बनाए जा रहे दबाव की शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी के कुछ विधायकों ने तो पाला भी बदल लिया है और कई विधायक अभी जाने की फिराक में हैं।

भाजपा के कई नेता मुकुल राय के संपर्क में

तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए मुकुल राय ऐसे बड़े नेता थे, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस में बड़ी सेंध लगाई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद सबसे पहले उन्होंने ही पाला बदला और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद अब भाजपा के कई नेता उनके संपर्क में हैं।

मंत्री पद से हटाए जाने पर नाराज थे सुप्रियो
बाबुल सुप्रियो का तृणमूल में जाना उनको मंत्री पद से हटाया जाना एकमात्र वजह रहा है। नाराज सुप्रियो ने 31 जुलाई को भाजपा छोड़ने का ऐलान कर दिया था और कहा था कि वह किसी और दल में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने लोकसभा सांसद से इस्तीफा देने की बात भी कही थी, लेकिन वह मामला अधर में लटका रहा। अब वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

विधायकों की संख्या बढ़ी पर सत्ता से दूर रही भाजपा
पश्चिम बंगाल में भाजपा कभी भी बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं रही है, यही वजह है कि अमित शाह ने जब भाजपा अध्यक्ष की कमान संभाली थी तो उन्होंने मिशन बंगाल पर काम शुरू किया था और विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं को अपने साथ जोड़कर पार्टी का मजबूत आधार तैयार किया। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल में बड़ी सफलता भी मिली थी। इसी आधार पर उसने विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी तैयारी भी की थी, लेकिन वह सफल नहीं रहे। पार्टी की संख्या तीन विधायकों से बढ़कर 77 तक पहुंच गई, लेकिन वह सत्ता से बहुत दूर रही। दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने भारी जीत हासिल कर अपनी सत्ता बरकरार रखी।

भाजपा दफ्तरों और नेताओं पर हमले
नतीजे आने के बाद ही जिस तरह से भाजपा दफ्तरों और नेताओं पर हमले हुए उससे भाजपा नेताओं में भारी दहशत रही। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक इसकी शिकायतें दर्ज कराई। कई विधायक तो राज्य छोड़कर बाहर भी चले गए।

भाजपा विधायकों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा
पार्टी के पश्चिम बंगाल के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि राज्य में ममता बनर्जी सरकार द्वारा भाजपा के विधायकों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। पार्टी के एक सांसद अर्जुन सिंह पर हाल के हाल में हुए हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर भाजपा के जनप्रतिनिधियों पर जान का खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में अगर कुछ नेता पार्टी छोड़कर जाते हैं तो उनकी मजबूरी को समझा जा सकता है।

नाराजगी बड़ी वजह
हालांकि, भाजपा में इसके पहले भी कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी थी, लेकिन इसकी वजह राजनीतिक रही थी। दिवंगत नेता चंदन मित्रा भी भाजपा के अहम नेता थे। दो बार राज्य सभा के सांसद भी रहे थे, लेकिन कुछ साल पहले उन्होंने नाराज होकर भाजपा छोड़ दी थी। क्योंकि उनको चुनाव में हार मिलने के बाद न तो राज्य सभा में लाया गया था न ही पार्टी संगठन में कोई जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बाद में वह भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन वहां भी ज्यादा सक्रिय नहीं रहे।

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