'बेपरवाह है रवैया', चुनावी हिंसा पीड़ितों को मुआवजा न देने पर ममता सरकार को HC की फटकार
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के पीड़ितों को अब तक मुआवजा न दिए जाने पर ममता सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है। सोमवार को सीबीआई ने राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर की गई जांच...
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के पीड़ितों को अब तक मुआवजा न दिए जाने पर ममता सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है। सोमवार को सीबीआई ने राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर की गई जांच की स्टेटस रिपोर्ट कलकत्ता हाई कोर्ट के सामने पेश की। इस दौरान कोर्ट ने ममता सरकार के लापरवाही भरे रवैये को लेकर कड़ा रुख अपनाया।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, 'यह एक गंभीर मामले को लेकर राज्य के बेपरवाह रवैया को दर्शाता है।' मामले में अब अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।
इसी साल अगस्त माह में कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने चुनावी हिंसा को लेकर सीबीआई और राज्य पुलिस की एक तीन सदस्यीय एसआईटी टीम से अलग-अलग जांच कराए जाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को चुनाव बाद हुई हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी ऐलान किया था।
पीठ ने कहा कि अभी तक सीबीआई ने सात केसों में 40 एफआईआर और चार्जशीट दायर की है। सोमवार को सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट की निगरानी में जारी अपनी जांच से जुड़ी पहली स्टेटस रिपोर्ट दायर की है।
राज्य सरकार की ओर से तीन सदस्यों वाली एसआईटी के सहयोग के लिए 10 आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति पर भी कोर्ट ने आपत्ति दर्ज की। हालांकि, राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि एसआईटी सदस्यों के साथ पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद 10 आईपीएस अधिकारियों को नियुक्त किया गया था। हालांकि, राज्य सरकार इस टीम को लेकर कोई भी आधिकारिक जानकारी देने में अक्षम रही।
बता दें कि इस साल बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद राज्य में कई जगह हिंसा, आगजनी जैसी वारदातें हुईं। जून में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक कमेटी गठित कर के चुनाव बाद हुई हिंसा के सभी मामलों की जांच करने को कहा था।
सात सदस्यों वाली कमेटी ने 13 जुलाई को अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जिसमें टीएमसी सरकार पर निशाना साधते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया कि हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई राज्य से बाहर होनी चाहिए। एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि 2 मई से लेकर 20 जून के बीच राज्य में हिंसा से जुड़ी 1 हजार 934 शिकायतें दर्ज कराई गईं। इनमें से 29 हत्या, 12 रेप और यौन शोषण, 940 लूटपाट जैसे मामले थे। कमेटी ने करीब 15 हजार पीड़ितों की जानकारी के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की थी।
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