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पंचायत चुनाव से पहले एक्शन में ममता बनर्जी, खुद संभाली पार्टी की कमान

पंचायत चुनाव के मद्देनजर ममता बनर्जी की पार्टी अपनी तैयारी में जुटी हुई है। इस चुनाव को आम चुनाव 2024 से पहले बीजेपी और टीएमसी के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों पार्टी जोर लगा रही है।

पंचायत चुनाव से पहले एक्शन में ममता बनर्जी, खुद संभाली पार्टी की कमान
Himanshu Tiwariहिंदुस्तान टाइम्स,नई दिल्लीTue, 31 Jan 2023 07:27 PM

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पश्चिम बंगाल के बीरभूम में पंचायत चुनावों से पहले टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्टी की जिम्मेदारी खुद ले ली है। पशु तस्करी घोटाले में कथित तौर पर जुड़े बीरभूम जिले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल के सलाखों के पीछे चले जाने के बाद ममता बनर्जी ने यह निर्णय लिया है।

प्रशासनिक कामकाज की समीक्षा करने के लिए बीरभूम, मालदा और पूर्वी बर्दवान के तीन दिन के दौरे पर आईं बनर्जी ने सोमवार को बीरभूम में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में मौजूद एक टीएमसी नेता ने कहा, "उन्होंने सभी ब्लॉक अध्यक्षों से पार्टी की तैयारियों का अपडेट लेते हुए जिले के पार्टी नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की।"

टीएमसी नेता और जिले में पार्टी के कद्दावर नेता मोंडोल को सीबीआई ने अगस्त 2022 में करोड़ों रुपये के पशु तस्करी घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में है।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 2016 के विधानसभा चुनावों के दौरान, मंडल शायद राज्य के एकमात्र नेता थे जिन्हें चौबीसों घंटे निगरानी में रखा गया था। वह जिला स्तर के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्हें बिना चुनाव लड़े पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह मिली है।

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मंडल की गैरमौजूदगी में स्थानीय टीएमसी नेताओं का एक वर्ग जिले के कुछ हिस्सों में अधिक नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा था। बनर्जी ने सोमवार को बीरभूम के सांसद शताब्दी रॉय, बोलपुर के सांसद असित मल और नानूर के एक टीएमसी नेता शेख काजल सहित तीन और नेताओं को शामिल करते हुए समिति का विस्तार किया।

टीएमसी के एक अन्य नेता ने कहा, "हालांकि, बनर्जी ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से जिले में पार्टी के मामलों को देखेंगी और वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हकीम उनकी सहायता करेंगे।"

राज्य में कब है पंचायत चुनाव

पंचायत चुनाव अगले दो से तीन महीनों में होने की उम्मीद है। महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे टीएमसी और भाजपा दोनों के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है।

बीरभूम टीएमसी का गढ़ माना जाता है जिस पर पिछले कुछ चुनावों से बीजेपी की नजर है। टीएमसी जहां 2019 में लोकसभा की दोनों सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही, वहीं 2021 में उसने 11 विधानसभा सीटों में से 10 पर जीत हासिल की।
 

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