दार्जिलिंग में GTA चुनाव के लिए वोटिंग कल, 10 साल से नहीं हुआ था इलेक्शन
जीजेएम ने वर्ष 2012 में पहले और एकमात्र जीटीए चुनाव में भारी जीत दर्ज की। जीटीए के लिए वर्ष 2017 में चुनाव होना था लेकिन राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों की वजह से चुनाव नहीं हो सके।
पश्चिम बंगाल के पहाड़ी जिले दार्जिलिंग में अर्ध स्वायत्त परिषद गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (GTA) के लिए रविवार को मतदान होगा। 10 साल बाद हो रहे इस चुनाव का राजनीतिक दलों के एक वर्ग ने बहिष्कार भी किया है। अधिकारियों की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार के चुनाव में कुल 277 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें 178 निर्दलीय उम्मीदवार है। जीटीए चुनाव में 178 निर्दलीय उम्मीदवारों का होना भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। जीटीए चुनाव में 700,326 मतदाता शामिल होंगे जबकि वोटों की गिनती 29 जून को होगी।
दार्जिलिंग के जिला मजिस्ट्रेट और जीटीए चुनाव अधिकारी एस पूनम्बलम ने कहा, 'सब कुछ शांतिपूर्ण है और उम्मीद है कि चुनाव बहुत शांतिपूर्ण तरीके से होगा।' गोरखा नेशनल लिब्रेशन फ्रंट (GNLF) ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जीटीए चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी 10 मई 2022 की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया था।
जीएनएलएफ ने 2012 में याचिका दायर कर जीटीए अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। हालांकि, कोर्ट ने गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (GTA) के 26 जून को प्रस्तावित चुनाव और इसके परिणाम की घोषणा पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। जीएनएलएफ ने 1986 और 1988 के बीच हिंसक गोरखालैंड आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल (DGHC) का गठन हुआ, जो यह मानता है कि जीटीए का गठन अवैध रूप से किया गया था और उसने संवैधानिक वैधता पर भी सवाल उठाया था।
पिछले चुनाव में जीजेएम ने 45 सीटें जीती थीं
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) जिसने 28 निर्विरोध सहित सभी 45 सीटें जीती थीं, वह भी जीटीए चुनाव का विरोध कर रही है। जीजेएम जुलाई 2011 में त्रिपक्षीय जीटीए समझौते में तीन हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक था। अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं में पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र थे। तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, सीपीआई (एम) और भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) और हमारो पार्टी भी चुनाव मैदान में है।
आखिरी बार 2012 में हुआ था चुनाव
जीटीए के लिए आखिरी बार चुनाव साल 2012 में हुआ था। इसके बाद जीटीए के लिए साल 2017 में चुनाव होना था लेकिन राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों की वजह से चुनाव नहीं हो सके। इसकी वजह से परिषद का कार्य राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासनिक निकाय के हाथों में आ गया।
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