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पश्चिम बंगाल में दिवाली पर नहीं जलेंगे पटाखे, कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाया बैन

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिवाली, काली पूजा, जगद्धात्री पूजा और छठ पर पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया। न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और अरिजीत...

पश्चिम बंगाल में दिवाली पर नहीं जलेंगे पटाखे, कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाया बैन
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 05 Nov 2020 06:29 PM
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिवाली, काली पूजा, जगद्धात्री पूजा और छठ पर पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया। न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। काली पूजा 15 नवम्बर को है।

अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिबंध जगद्धात्री पूजा, छठ और कार्तिक पूजा के दौरान भी लागू रहेगा। अदालत ने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान लागू होने वाले दिशानिर्देश जैसे पंडालों में प्रवेश नहीं, काली पूजा के दौरान भी लागू होंगे। पीठ ने दुर्गा पूजा पर अदालत द्वारा निर्देशित दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार की सराहना की।

अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि काली पूजा के दौरान मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाए। अदालत ने कहा कि 300 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र में काली पूजा पंडालों में 15 लोगों की अनुमति होगी और बड़े पंडालों में 45 व्यक्तियों की अनुमति होगी। पीठ ने विसर्जन के दौरान जुलूस की भी अनुमति नहीं दी।

वहीं, दिल्ली-एनसीआर सहित देश के 122 शहरों में 30 नवंबर तक पटाखों की जलाने और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि वह 9 नवंबर को इस पर विस्तृत फैसला देंगे। 

लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दोहे ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे’ को गाया। ये 122 शहर दिल्ली एनसीआर के अलावा 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं। इन सभी राज्यों से बुधवार को जवाब मांगा गया था।

हम ग्रीन पटाखों के खिलाफ नहीं

एनजीटी ने कहा कि हम भी ग्रीन पटाखे जलाने के खिलाफ नहीं है, हम तो सिर्फ कुछ वक्त के लिए इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए क्योंकि इससे जन स्वास्थ्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। पटाखा उत्पादकों ने कहा कि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली है। साथ ही कहा कि पराली की तुलना में ग्रीन पटाखों से कम प्रदूषण होता है। इसके जवाब में एनजीटी ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि पटाखों से ही प्रदूषण हो रहा है, इसके कई कारण हैं। पीठ ने कहा है कि अन्य कारणों पर रोक नहीं लगी हुई है तो इसका मतलब यह नहीं कि पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाए।

पटाखों सेकोरोना बढ़ने का कोई स्टडी नहीं

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी को बताया कि पटाखों को जलाने से कोरोना के मामले बढ़ेंगे, इसको लेकर अभी तक कोई अध्य्यन नहीं किया गया है। जिसमें साफ तौरपर कहा जाए कि पटखों के प्रदूषण से कोरोना के मामले बढ़ेंगे। इस पर एनजीटी ने मंत्रालय को जमकर फटकार लगाई। पीठ ने मंत्रालय से कहा कि क्या आपको पर्यावरण कानूनों की जानकारी है। पीठ ने कहा कि यदि कानून के बारे में जानकारी होती तो आपको पता होता कि किसी भी चीज को लागू करने के लिए अध्य्यन करने की जरूरत होती है, प्रतिबंध लगाने के लिए किसी चीज की जरूरत नहीं।

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