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अनीस खान मौत मामला: ममता सरकार ने मृतक के पिता की आपत्ति का किया विरोध

अनीस खान के पिता ने उस जांच रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है जिसमें दावा किया गया कि पोस्टमार्टम से संकेत मिला है कि खान की मौत दुर्घटनावश हुई थी और यह हत्या का मामला नहीं है। शव को दो बार पोस्टमार्टम हुआ।

अनीस खान मौत मामला: ममता सरकार ने मृतक के पिता की आपत्ति का किया विरोध
एजेंसी,कोलकाताTue, 17 May 2022 10:42 PM

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पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में दिवंगत छात्र नेता अनीस खान के पिता की ओर से दायर एक अर्जी का विरोध किया। खान के पिता ने उस जांच रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है जिसमें दावा किया गया कि पोस्टमार्टम से संकेत मिला है कि खान की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी और यह हत्या का मामला नहीं है।

राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता एस एन मुखर्जी ने कहा कि हत्या का कोई मकसद नहीं था क्योंकि आरोपी- एक होमगार्ड और एक नागरिक कार्यकर्ता-अनीस खान को नहीं जानते थे और वह 19 फरवरी को हावड़ा जिले के अमता में अपने मकान की दूसरी मंजिल की एक खुली खिड़की से गिर गए थे।

दोनों कथित तौर पर खान की तलाश में दूसरी मंजिल पर गए थे। मौत पर विपक्षी दलों द्वारा हंगामे के बीच दोनों को राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल ने गिरफ्तार किया था और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण) के तहत आरोप लगाया गया था।

छात्र नेता के पिता सलीम खान द्वारा पुलिस की जांच रिपोर्ट पर दायर की गई आपत्ति का विरोध करते हुए मुखर्जी ने न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा के समक्ष कहा कि फॉरेंसिक जांच और पोस्टमार्टम जांच रिपोर्ट से संकेत मिला है कि दुर्घटनावश मौत हुई थी न कि हत्या हुई जैसा कि परिवार ने आरोप लगाया। मुखर्जी ने कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, दिल्ली द्वारा आरोपियों की 'पॉलीग्राफ' जांच की गई। यह संगठन केंद्र सरकार के अधीन है ना कि राज्य के नियंत्रण में। खान के शव का दो बार पोस्टमॉर्टम कराया गया। दूसरी बार अदालत के आदेश पर पोस्टमार्टम किया गया था। 

मुखर्जी ने यह भी कहा कि मामले की जांच लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही आरोपपत्र निचली अदालत में दाखिल किए जाएंगे। हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई सात जून को होगी। सलीम खान ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे की हत्या खाकी और नागरिक कार्यकर्ता की वर्दी पहने हुए लोगों ने की थी। उन्होंने  किसी ऐसी एजेंसी द्वारा मामले की जांच कराने का अनुरोध करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया जो पश्चिम बंगाल पुलिस से संबद्ध नहीं है।

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