किसी और से फोन पर ऑर्डर ले रहे थे संदीप घोष? कोलकाता केस में नया खुलासा, गहराया मामला
- सीबीआई ने संदिप घोष के कॉल डिटेल्स की पड़ताल के बाद पाया कि वारदात के वक्त वह अस्पताल के अधिकारियों और ताला पुलिस थाने के इंचार्ज अभिजीत मंडल से लगातार फोन पर संपर्क में थे।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं। 14 अगस्त को कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस केस की जांच शुरू कर दी थी। अब सीबीआई को इस केस में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदिप घोष पर शक और गहरा गया है।
सीबीआई ने संदिप घोष के कॉल डिटेल्स की पड़ताल के बाद पाया कि वारदात के वक्त वह अस्पताल के अधिकारियों और ताला पुलिस थाने के इंचार्ज अभिजीत मंडल से लगातार फोन पर संपर्क में थे। सीबीआई को शक है कि वह किसी और के आदेश पर काम कर रहे थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, संदिप घोष ने घटना के समय पुलिस को सही तरीके से निर्देश नहीं दिए और खुद भी पुलिस के पहुंचने के बाद ही वारदात की जगह पर पहुंचे।
सीबीआई का कहना है कि संदिप घोष जानबूझकर वारदात की जगह से नदारद रहे, जबकि उनके पास मौका था कि वो मामले की निगरानी करता और जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज कराते। घोष का यह व्यवहार बेहद संदिग्ध माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने मौके पर समय पर पहुंचने के बजाय देरी की।
अब सीबीआई हर फोन कॉल की बारीकी से जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि मुख्य आरोपी और अन्य आरोपी के बीच किसी आपराधिक साजिश की योजना तो नहीं बनाई गई थी। सीबीआई ने संदिप घोष और अभिजीत मंडल के बयानों को सीसीटीवी फुटेज के साथ मिलाकर जांच करने का इरादा जताया है। इसके अलावा, उनके मोबाइल डेटा को भी खंगाला जा रहा है ताकि अगर किसी तरह की साजिश हुई हो तो उसकी परतें खोली जा सकें।
14 सितंबर को सीबीआई ने संदिप घोष को सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। पहले से ही वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई की हिरासत में थे। अब एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही है कि मुख्य आरोपी संजय रॉय, संदिप घोष और अभिजीत मंडल के बीच किसी तरह की आपराधिक साजिश रची गई थी या नहीं।
इसी बीच पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने संदिप घोष का मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस भी रद्द कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संदिप घोष और अभिजीत मंडल ने मृत डॉक्टर के परिवार की दूसरी पोस्टमार्टम की मांग को नजरअंदाज करते हुए जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करवाया, जो मामले को और भी संदिग्ध बना रहा है।
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