अक्षय नवमी 2025: अक्षय नवमी पर आंवला की पूजा क्यों करते हैं?
अक्षय नवमी, कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाई जाती है। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानें यह पर्व क्यों खास है और आंवला पूजा के फल क्या हैं।
अक्षय नवमी
अक्षय नवमी को सत्य युग का प्रारंभ माना जाता है। इस दिन किए गए दान, स्नान और पूजा का पुण्य अक्षय (कभी नष्ट नहीं होने वाला) होता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है।
अक्षय नवमी का महत्व
हिंदू शास्त्रों में आंवला वृक्ष को भगवान विष्णु और लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसकी पूजा से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह पवित्र वृक्ष है।
आंवला: विष्णु का प्रतीक
अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष की पूजा से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन आंवला में सभी तीर्थों का वास होता है।
आंवला पूजा की परंपरा
शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने आंवला वृक्ष को अमरत्व का वरदान दिया। इस दिन उनकी पूजा से अक्षय पुण्य और सौभाग्य मिलता है। यह पवित्रता का प्रतीक है।
आंवला पूजा की कथा
आंवला विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। आयुर्वेद में इसे रोग प्रतिरोधक और पाचन सुधारक माना जाता है। पूजा के साथ इसका सेवन स्वास्थ्य लाभ देता है।
आंवला: स्वास्थ्य का खजाना
सुबह स्नान कर आंवला वृक्ष को जल, रोली, अक्षत और फूल अर्पित करें। मंत्र जपें: 'ॐ विष्णवे नमः'। परिक्रमा करें और दान दें। नदी स्नान करें।
अक्षय नवमी पूजा विधि
आंवला पूजा से धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पितरों को तृप्त करती है और शनि दोष को कम करती है। परिवार में सुख-शांति आती है।
पूजा के लाभ
अक्षय नवमी पर नदी स्नान और दान करना अक्षय पुण्य देता है। आंवला, अनाज या वस्त्र दान करें। गरीबों को भोजन कराएं। इससे लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।
दान और स्नान का महत्व
यह जानकारी सिर्फ मान्याताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
नोट
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