By Navaneet Rathaur
PUBLISHED April 14, 2025

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Hindu Dharm: अंतिम संस्कार में बेटा ही मुखाग्नि क्यों देता है?

हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार एक पवित्र कर्म है, जिसमें बेटा मुखाग्नि देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

अंतिम संस्कार

कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि अंतिम संस्कार के दौरान मुखाग्नि बेटा ही क्यों देता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।

मुखाग्नि

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मुखाग्नि देना आत्मा को शरीर से मुक्त करने का कार्य है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पुत्र द्वारा दी गई अग्नि मृतक की आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाती है।

गरुड़ पुराण

धर्म शास्त्रों में बेटा के द्वारा मुखाग्नि देना कृत्य पुत्र का कर्तव्य माना जाता है, जो पितृऋण को चुकाने का प्रतीक है।

पितृऋण

माता-पिता द्वारा दी गई जन्म और पालन-पोषण की जिम्मेदारी को अंतिम संस्कार द्वारा पूरा किया जाता है। मान्यता है कि पुत्र द्वारा मुखाग्नि देने से मृतक को शांति मिलती है।

मृतक को शांति

सनातन धर्म में अंतिम संस्कार को वंश परंपरा का हिस्सा माना गया है। यही वजह है कि अंतिम संस्कार का अधिकार सिर्फ उन्हें दिया गया है, जो आजीवन वंश से जुड़े रहेंगे।

वंश परंपरा का हिस्सा

बेटा के बजाय बेटी यानी लड़की विवाह के बाद किसी दूसरे परिवार जुड़ जाती है। इस वजह से लड़कियों को मृतक को मुखाग्नि देने का अधिकार नहीं दिया गया है।

लड़कियों को नहीं है अधिकार

धर्म शास्त्रों के अनुसार, पुत्र शब्द का संधि विच्छेद करने पर इसका एक खास अर्थ निकलता है। पु यानी नरक और त्र यानी त्राण।

पुत्र शब्द का संधि विच्छेद

पुत्र शब्द का अर्थ ही होता है नरक से निकाल देने वाला। यही वजह है कि घर में मृतक को मुखाग्नि के लिए पुत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।

बेटा को प्राथमिकता

यह जानकारी सिर्फ मान्याताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।

नोट

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