हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही साधु-संतों को सम्मान और आदर की दृष्टि से देखा जाता रहा है। आपने अधिकतर साधु-संतों को भगवा रंग के वस्त्रों में देखा होगा।
साधु
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आज हम आपको बताएंगे कि साधु-सन्यासी भगवा रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?
भगवा रंग के कपड़े
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प्रकृति में हमें सूरज की रोशनी में केसरिया या भगवा रंग देखने को मिलता है। भगवा रंग के कपड़े पहनना जीवन में प्रकाश और सवेरे का सूचक माना जाता है।
प्रकृति में भगवा रंग
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जब कोई फल पक जाता है, तो वह आमतौर पर नारंगी रंग का हो जाता है। इसलिए नारंगी या भगवा रंग पकने यानी परिपक्वता या समझदारी का प्रतीक माना जाता है।
पके फल का रंग नारंगी
नारंगी या भगवा रंग को चक्रों से जोड़ कर भी देखा जाता है।
शरीर में मौजूद चक्र
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व्यक्ति के शरीर में चक्र मौजूद होते हैं। हर चक्र का अलग रंग होता है।
चक्र
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आज्ञा चक्र को ज्ञान प्राप्ति का सूचक माना जाता है। आज्ञा चक्र का रंग भगवा या गेरूआ होता है।
आज्ञा चक्र
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साधु-संत यानी जो लोग आध्यात्मिक पथ पर होते हैं,ज्ञान-प्राप्ति की दिशा में बढ़ रहे होते हैं और उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं, वे भगवा रंग के कपड़े पहनते हैं।
ज्ञान प्राप्ति
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यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।