हिंदू महिलाएं अपने पैरों में आलता क्यों लगाती हैं? जानिए इसका महत्व
हिंदू धर्म में दुल्हन के सोलह शृंगार का विशेष महत्व है। पैरों में लगाए जाने वाला आलता भी इन्हीं में से एक है।
सोलह शृंगार
पैरों में आलता लगाने से शादीशुदा महिलाओं की खूबसूरती में चार-चांद लग जाता है। बता दें कि आलता का हिंदू परंपरा से गहरा संबंध है।
आलता
लाल रंग के आलता को सुहाग की निशानी के रूप में देखा जाता है। आज हम आपको पैरों में आलता लगाने का महत्व बताएंगे।
सुहाग की निशानी
आलता से पैर रंगने को सुहाग से जोड़कर देखा जाता है। हिंदू उपनिषदों में आलता से जुड़े कई प्रमाण मिलते हैं।
आलता से जुड़े प्रमाण
आलता का लाल रंग समृद्धि का प्रतीक है। कोई भी सुहागन स्त्री पैरों में आलता लगाती है, तो ये उसकी और परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
समृद्धि का प्रतीक
हिंदू धर्म में आलता विभिन्न अनुष्ठानों और त्योहारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका लाल रंग पवित्रता और दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक है।
धार्मिक महत्व
धार्मिक समारोहों, शादियों या त्योहारों के दौरान पैरों पर आलता लगाना बहुत शुभ माना जाता है, जो किसी भी अवसर की पवित्रता को दर्शाता है और उस अवसर के महत्व को बढ़ाता है।
शुभ होता है आलता लगाना
भारतीय संस्कृति में आलता को एक शुभ प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इससे जीवन में सौभाग्य और शुभता बनी रहती है।
सौभाग्य और शुभता
वस्त्र और आभूषण के साथ आलता का लाल रंग दुल्हन या किसी भी महिला की खूबसूरती को कई गुना तक बढ़ाने में मदद करता है।
सौंदर्य का प्रतीक
यह जानकारी सिर्फ मान्याताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।