मिड लाइफ क्राइसेस में 40 की उम्र के बाद लोगों को अचानक से जीवन अधिक चुनौतीपूर्ण नजर आने लगता है। इसमें व्यक्ति भावनात्मक असुरक्षा महसूस करता है।
मिड लाइफ क्राइसेस
चलिए जानते हैं कि मिड लाइफ क्राइसेस से गुजर रहे व्यक्ति को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
क्या है लक्षण?
इसमें में लोगों को रिश्तों में ईमानदारी की कमी, अकेलापन और आर्थिक स्थिति से जुड़ी चिताएं सताने लगती हैं। जिससे व्यक्ति को अधिक चिंता और तनाव महसूस होने लगता है।
रिश्तों में अस्थिरता
मिड लाइफ क्राइसेस की समस्या होने पर व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर बेचैनी महसूस करने लगता है और व्यक्ति गुस्से में आपा खो देता है।
बेचैनी
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इस समस्या में व्यक्ति उदास और सुस्त रहने लगता है और उसे हर छोटी-बड़ी बातों पर ईर्ष्या महसूस होने लगती है।
उदास होना
मिड लाइफ क्राइसेस होने पर व्यक्ति के सेहत में गिरावट होता है और अचानक से अधिक वजन बढ़ने या घटने की परेशानी होने लगती है।
सेहत में गिरावट
यहीं नहीं इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को अपने लुक्स और सेहत को लेकर काफी चिंता होने लगती है। जिसके कारण उसे आत्मविश्वास की कमी महसूस होने लगती है।
सेल्फ डाउट
मिड लाइफ क्राइसेस होने पर सबसे पहले बढ़ती उम्र के हिसाब से खुद को फिट और खुश रखने का प्रयास करें। एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट लें। इससे स्ट्रेस कम होगा।
निपटने का तरीका
सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। इसलिए आपको जो अच्छा लगता है वह सीखने की कोशिश कीजिए और कुछ नया सीखकर खुद को अपडेट रखिए। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा।
कुछ नया सीखना
अगर आप अपने दोस्तों या परिजनों से बातचीत करके समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं तो आप मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग की मदद ले सकते हैं।