हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
शीतला अष्टमी व्रत
होली के बाद चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाया जाता है। इस दिन चूल्हा जलाना वर्जित होता है।
चूल्हा जलाना वर्जित
बता दें कि शीतला अष्टमी पर माता शीतला को बासी भोजन का भोग (जैसे हलवा, मीठे चावल, पूरी आदि) लगाया जाता है।
बासी भोजन का भोग
बासी भोजन का भोग लगाने के कारण इसे बसौड़ा पर्व कहा जाता है। साथ ही शीतला अष्टमी के दिन सभी लोग एक दिन पहले बना हुआ भोजन ही खाते हैं।
बसौड़ा पर्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला को रोगों की देवी कहा जाता है। शीतला अष्टमी का पर्व बीमारियों और संक्रमण से बचाव के लिए मनाया जाता है।
रोगों की देवी
हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी की तिथि की शुरुआत 22 मार्च 2025, शनिवार को सुबह 4:23 बजे से होगा।
शीतला अष्टमी की शुरुआत
23 मार्च 2025, रविवार को सुबह 5:23 बजे अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च 2025 को रखा जाएगा।
अष्टमी तिथि की समाप्ति
मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन व्रत करने और माता की कथा सुनने से सभी रोगों का नाश हो जाता है। इस दिन मां शीतला की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
पूजा-पाठ
यह जानकारी सिर्फ मान्याताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
नोट
सफलता पाने के लिए भगवान कृष्ण से सीखें सक्सेस मैनेजमेंट