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Faith Garuda Puran: आत्महत्या करने वालों के साथ कैसा बर्ताव होता है?
आज के समय में कुछ लोग विपरीत परिस्थितियों से घबरा कर जीवन समाप्त कर लेते हैं।
विपरीत परिस्थितियां
कुछ लोग यह सोच कर आत्महत्या कर लेते हैं कि मृत्यु के बाद उन्हें कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है।
कष्टों से छुटकारा
गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्महत्या करना एक निंदनीय अपराध माना जाता है।
आत्महत्या है अपराध
आइए आज आपको बताते हैं कि गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्महत्या करने वालों का क्या होता है।
आत्महत्या करने वाले
कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्माएं 10वें, 13वें या 40वें दिन शरीर धारण कर लेती हैं।
कब मिलता है शरीर?
आत्महत्या करने के बाद आत्माओं को तब तक शरीर नहीं मिलता, जब तक उनकी निश्चित आयु पूरी नहीं हो जाती है।
शरीर नहीं मिलता
समय चक्र पूरा होने तक ये आत्माएं भूत, प्रेत और पिशाच योनि धारण कर भटकती रहती हैं।
प्रेत योनि
इन आत्माओं को मृत्यु के बाद शांति नहीं मिलती है। ये लोग एक बुरी दशा में पहुंच जाते हैं।
अशांति
कहा जाता है कि आत्महत्या करने वालो को श्राद्ध और तर्पण से भी आसानी से मुक्ति नहीं मिलती हैं।
आसानी से मुक्ति नहीं
यह जानकारी सिर्फ मान्याताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
नोट
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