By Navaneet Rathaur
PUBLISHED April 12, 2025

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वैज्ञानिकों का दावा: नीला नहीं हरा हुआ करता था समुद्रों का रंग

पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई हिस्सा पानी से ढका हुआ है। ऐसे में अंतरिक्ष से पृथ्वी नीली दिखती है।

तीन चौथाई हिस्से में पानी

हालांकि, नेचर नाम की एक साइंस पत्रिका में छपी जापानी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बहुत समय पहले हमारे महासागर हरे रंग के हुआ करते थे।

हरे रंग के महासागर

रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 2.4 अरब वर्ष पहले आर्कियन युग के दौरान पृथ्वी पर मौजूद महासागर संभवतः हरे रंग के नहाए हुए थे।

आर्कियन युग

शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्राचीन काल में समुद्र में घुली सामग्री और सूक्ष्म जीवों की मौजूदगी ने इसके रंग को प्रभावित किया।

समुद्र में घुली सामग्री और सूक्ष्म जीव

अरबों साल पहले, समुद्र में आयरन और अन्य खनिजों की मात्रा ज्यादा थी। वहीं शैवाल और बैक्टीरिया भी बहुतायत मात्रा में मौजूद थे, जिसके कारण समुद्र का रंग हरा हुआ करता था।

आयरन और अन्य खनिज

रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जैसे-जैसे पृथ्वी की पर्यावरणीय स्थितियां बदलीं और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा, समुद्र का रंग धीरे-धीरे नीला होने लगा।

नीला होने लगा समुद्र

वैज्ञानिकों ने अपने इस रिसर्च के लिए समुद्र तल से प्राचीन चट्टानों और तलहटी के कुछ नमूनों को लेकर अध्ययन किया है।

प्राचीन चट्टानों और तलहटी

वैज्ञानिकों ने इन नमूनों में मौजूद रासायनिक अवशेषों का विश्लेषण किया, जो पृथ्वी के प्रारंभिक समुद्रों की स्थिति को दर्शाते हैं।

रासायनिक अवशेषों का विश्लेषण

पहले के समय में समुद्र में ऑक्सीजन की कमी थी, जिसके कारण आयरन और सल्फर जैसे तत्व पानी में घुले रहते थे, जिसकी वजह से हरे रंग का प्रभाव पैदा होता था।

समुद्र में ऑक्सीजन की कमी

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शोध ना केवल पृथ्वी के इतिहास को समझने में मदद करता है, बल्कि समुद्री पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए भी बहुत उपयोगी होगा।

पृथ्वी का इतिहास

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