IPL 2025 का मैच नंबर 16 शुक्रवार को लखनऊ सुपर जायंट्स और मुंबई इंडियंस के बीच खेला गया था।
मैच
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मैच में मुंबई इंडियंस के बल्लेबाज तिलक वर्मा को रिटायर्ड आउट नियम के तहत मैदान से बाहर जाना पड़ा। वे न तो चोटिल थे और ऐसा भी नहीं था कि वे बल्लेबाजी करने में सक्षम नहीं थे।
तिलक आउट
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इसके बावजूद टीम को ये अधिकार था कि वे उन्हें जब चाहे वापस पवेलियन बुला सकती थी। कई लोग इसे रिटायर्ड हर्ट समझ बैठे थे।
अधिकार
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ऐसे में आज हम आपको ‘रिटायर्ड आउट’ और ‘रिटायर्ड हर्ट’ में क्या अंतर होता है इसबारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं।
जानिए अंतर
बल्लेबाज को बिना आउट और बिना चोटिल हुए वापस बुला लिया जाए तो इसे रिटायर्ड आउट कहते हैं। इसके बाद उनकी जगह कोई दूसरा बल्लेबाज मैदान पर आता है।
रिटायर्ड आउट
रिटायर्ड आउट के लिए टीम को अंपायर की अनुमति की जरूरत नहीं होती। रिटायर्ड आउट बल्लेबाज अंपायर और विरोधी टीम के कप्तान की अनुमति के बिना वापस खेलने नहीं आ सकता।
अनुमति
वहीं किसी चोट या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से प्लेयर के मैदान से बाहर जाने को रिटायर्ड हर्ट कहा जाता है। खिलाड़ी के बाहर जाने के लिए टीम को अंपायर की अनुमति लेनी पड़ती है।
चोट
वहीं अगर वह बाद में या थोड़ी देर बाद बल्लेबाजी के लिए फिट हो जाता है तो उसे खेलने का अधिकार भी होता है। इसके लिए अंपायर की अनुमित की जरूरत होती है न कि विरोधी टीम के कप्तान की।
फिट
रिटायर्ड हर्ट में कन्कशन सब्सटीट्यूट का नियम भी होता है। यानी किसी खिलाड़ी के चोटिल होने पर मेडिकल टीम जांच करती है।
जांच
जांच के बाद मेडिकल टीम वापस खेलने की अनुमति नहीं देती है तो ऐसे में चोटिल खिलाड़ी के बदले किसी दूसरे खिलाड़ी को प्लेइंग-11 में शामिल किया जाता है।