Polygraph Test: झूठ या सच का मशीन से पता लगाया जा सकता है या नहीं
मेडिकल साइंस दिन-प्रतिदिन विकसित होते जा रहा है और इंसान के बारे में हर चीज का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट का इजाद कर दिया है।
मेडिकल साइंस
पॉलीग्राफ टेस्ट भी इन्हीं में से एक है। इस टेस्ट की मदद से पता लगाया जा सकता है कि कोई इंसान सच बोल रहा है या झूठ।
पॉलीग्राफ टेस्ट
कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि पॉलीग्राफ टेस्ट में कैसे पता चलता है कि इंसान झूठ बोल रहा है या सच। क्या इस टेस्ट का रिपोर्ट कोर्ट में मान्य होता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे काम करता है?
अगर आपके मन में भी पॉलीग्राफ टेस्ट को लेकर कई तरह के सवाल हैं, तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।
पॉलीग्राफ टेस्ट से जुड़े सवाल
पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए एक खास तरह के मशीन का इस्तेमाल होता है, जिसे लाई डिटेक्टर मशीन भी कहते हैं। यह मशीन दिखने में ECG मशीन की तरह ही होता है।
लाई डिटेक्टर मशीन
साइंस के मुताबिक, जब कोई इंसान झूठ बोल रहा होता है, तो दिल की धड़कन, सांस लेने में बदलाव और पसीना आने लगता है। पॉलीग्राफ मशीन भी इसी पैटर्न पर काम करती है।
ऐसे काम करती है पॉलीग्राफ मशीन
पॉलीग्राफ टेस्ट करते समय कार्डियो-कफ या सेंसेटिव इलेक्ट्रोड जैसे उपकरण व्यक्ति से जुड़े होते हैं, जो बीपी, नाड़ी आदि का रिपोर्ट देते हैं।
कई उपकरण करते हैं काम
हालांकि, कई वजहों से पॉलीग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट में वैज्ञानिकों को पूरी सफलता नहीं मिली है, जिसके कारण कोई भी कोर्ट इसके रिपोर्ट को नहीं मानता है।
कोर्ट में नहीं है मान्य
बता दें कि पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए आरोपी की सहमति भी जरूरी है। सुरक्षा एजेंसियां किसी व्यक्ति को बाध्य करके पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं करा सकती हैं।