प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में स्नान के लिए लोग दूर-दराज गांव, शहर से आ रहे हैं।
पुण्य
मान्यता है कि इससे व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य मिलता है।
ऐसे में स्नान के लिए कई बार लोग नदी के किनारे बने घाट, तो वहीं कुछ लोग तीन नदियों के मिलने वाले स्थान यानी संगम में जाकर स्नान करते।
संगम
संगम से गंगाजल
साथ ही संगम से गंगाजल लाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि संगम से जल नहीं लाना चाहिए। चलिए जानते हैं।
उपयोग
हिंदू धर्म में गंगाजल को बेहद ही पवित्र माना जाता है। इसका उपयोग पूजा, तर्पण, हवन और श्राद्ध जैसे धार्मिक कार्यों में किया जाता है।
पूजा-पाठ में गंगाजल यानी मां गंगा नदी के जल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में गंगा नदी से जल लाने के लिए कहा जाता है।
गंगा नदी का जल
लेकिन अगर आप संगम जहां पर तीनों नदियां मिलती हैं वहां से जल लाते हैं, तो इसका अर्थ यह है कि आप यमुना गंगा सरस्वती का जल अपने घर ला रहे हैं।
तीनों नदियों का जल
ऐसे में ज्योतिषचार्य का मानना है कि अगर आप गंगाजल संगम से ला रहे हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी न करें। अगर आप वहां से जल लाना चाह रहे हैं, तो आगे घाट से जल लेकर लाएं।
दूसरे घाट का जल
यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लें।